समानता की परिभाषा | समानता का अर्थ
Definition of Equality | Meaning of Equality | Samanta Ki Paribhasha
“” समानता “”
मानस पंथ द्वारा प्रयासरत
मूलभूत अधिकारों की अहम द्वितीय इकाई बने “” समानता “”
“”सभी पक्षों के लिए निरपेक्ष व्यवहार करने की क्षमता का भाव ही समानता है। “”
वैसे “” स “” से सर्वहित जहां परम्परा में विद्यमान हो,
वहाँ भाईचारे व बंधुत्व की विचारधारा आसमान छूने लगती है;
“” म “” से मर्म जहां संवेदनाओं में रच बस जाये,
वहाँ सहयोग, करुणा , दया व प्रेम की अनुभूति स्वतः होनी लगती है;
“” न “” से न्याय जहां कार्यशैली को केंद्रित करने लगे,
वहाँ स्वायत्तता भी सर्वकल्याण के मार्ग को प्रशस्त करती है;
“” त “” से तार्किक विश्लेषण जहां कार्यव्यवहार में नियमित व नियमब्द्ध आचरण में शामिल हो,
वहाँ पक्षपात भी न्यायिक व समाज के लिए उपयोगी लगने लगता है।
वैसे सर्वहित मर्म जहां न्याय पर आसीन हो समाज की उन्नति की बात करे,
वहाँ तार्किक विश्लेषण सामाजिक न्याय व सर्वांगीण विकास की अवधारणा विकसित करता है।
“” निर्विवाद व निर्विरोध अपने पक्ष को रखने की स्वायत्तता या अभिव्यक्ति की स्थिति ही समानता है। “”
“” समानता परिवार ही नहीं अपितु एक आदर्श समाज में भातृत्व, बन्धुत्व व आपसी सहयोग की भावना विकसित करता है। “”
“” हर प्राणी के लिये हो ध्येय हमारा–
समानता की सुख, समृद्धि से जगमगायेगा घर द्वार हमारा “”
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समानता की परिभाषा | समानता का अर्थ
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
great thought