अभिव्यक्ति की परिभाषा | अभिव्यक्ति क्या है
Definition of Expression | Meaning of Demonstration | Abhivyakti Ki Paribhasha
“” अभिव्यक्ति “”
“” विचारों को पूर्ण रूप से सम्प्रेषण कर पाना अभिव्यक्ति है। “”
“” निर्भीकता से मन के भावों को स्पष्टता से रखना भी अभिव्यक्ति है। “”
“” प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरलता से संवाद की क्रिया ही अभिव्यक्ति है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” अ “” से अवसर
“” भ “” से भूमिका
“” व् “” से विशेष
“” य “” से यादाश्त
“” क् “” से कारगर
“” त “” से तकरीर
“” अवसर की भूमिका जब विशेष यादाश्त हेतु कारगर तकरीर करे तो वह अभिव्यक्ति कहलाती है। “”
वैसे “” अ “” से अनुभूति
“” भ “” से भरोसेवश
“” व् “” से वाक्य
“” य “” से याद
“” क् “” से क्रमबद्ध
“” त “” से तामिल
“” अनुभूति जब भरोसेमंद वार्तालाप याद रखते हुए क्रमबद्ध तामिल करे तो वह अभिव्यक्ति कहलाती है। “”
मानस की विचारधारा में –
“” सरलता, सहजता व सुनिश्चित विचार को किसी के सम्मुख रखना ही अभिव्यक्ति कहलाती है। “”
“” मस्तिष्क में चल रहे ज्वलंत मुद्दों का प्रस्तुतिकरण ही अभिव्यक्ति कहलाती है। “‘
—- “” अपने ताजा हालिया बयान को दर्ज करवाना भी अभिव्यक्ति है। “” —-
“” साधारण व मूर्ख के समक्ष ज्ञानवान की तार्किक बहस अभिव्यक्ति की आजादी न होकर समय की बर्बादी व फूहड़ता का भुंडा प्रदर्शन कहलाता है। “”
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अभिव्यक्ति की परिभाषा | अभिव्यक्ति क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
अतिसुन्दर 🙏👌🙏
कई बार अभिव्यक्ति..
शब्दों के साथ-साथ…
भावों से भी व्यक्त होती हैं।।
मेरे विचार से तो व्यक्ति के परिपक्व होने की प्रक्रिया में उसे यह समझ आना चाहिये कि हर समय मुखरता काम्य नहीं होती। कई ऐसी स्थितियाँ भी होती हैं जहाँ मौन ही सबसे अच्छी अभिव्यक्ति बनकर सामने आता है। हिंदी के प्रसिद्ध कवि ‘अज्ञेय’ ने लिखा भी है- “मौन भी अभिव्यंजना है/ जितना तुम्हारा सच है/ उतना ही कहो।” हमें यह समझना चाहिये कि किन संदर्भों में मौन हमारी ताकत बन जाता है। अगर यह समझ जाएंगे तो निस्संदेह हमारे परिपक्व होने की प्रक्रिया ज़्यादा बेहतर और संगत हो जाएगी।मौन भी अभिव्यक्ति का ही एक प्रबल रूप है जिसके महत्त्व की अनदेखी नहीं करनी चाहिये। कोशिश करनी चाहिये कि हम कम किंतु काम का बोलें। हमारी बातों में विस्तार कम और गहराई ज़्यादा हो। ज्यादा सोचना और कम बोलना समझदारी का लक्षण है और बिना सोचे-समझे बोलते रहना मूर्खता का। चिंतन और अभिव्यक्ति की परिपक्वता की इस यात्रा में मौन का महत्त्व समझना एक अनिवार्य चरण है जिससे हम बच नहीं सकते।
बहुत ही सुंदर रूप से मौन की आपने व्याख्या दी है। आप इसी तरह से मार्गदर्शन प्रदान करते रहें।
मौन भी शानदार अभिव्यक्ति है
बहुत सुन्दर रचना
अति सुन्दर
अभिव्यक्ति की अच्छी तरह वर्णन किया है।।
शानदार लेखन,,