फोकस का अर्थ | फोकस की परिभाषा
Meaning of Focus | Definition of Focus | Focus Ki Paribhasha | Focus ka Arth
“” Focus “”
“” Focus लक्ष्य को केंद्रित करती हुई तत्कालिक युक्ति ही है। “”
“” विकट परिस्थितियों में भी गन्तव्य स्थल तक की पहुंच को निर्धारित करती रणनीति ही Focus है। “”
Focus को साधने हेतु आवश्यक कारक …..
“” F “” to Failure
【 असफलता 】
“” O “” to Obfuscation
【 घबराहट 】
“” C “” to Compliment
【 अभिनन्दन / प्रशंसा 】
“” U “” to Undulation
【 व्याकुलता 】
“” S “” to Spirit
【 मनोवृत्ति 】
“” वैसे असफलता, घबराहट से प्रशंसा हेतु व्याकुलता की मनोवृत्ति ही Focus है। “”
“” F “” to Fear
【 डर 】
“” O “” to Outlook of goal
【 लक्ष्य के दृष्टिकोण 】
“” C “” to Competition
【 प्रतियोगिता 】
“” U “” to Unforgettable, Unbelievable & Unpredictable
【 अविस्मरणीय, अविश्वसनीय और अप्रत्याशित 】
“” S “” to Systematic Tendency
【 व्यवस्थित प्रवृत्ति 】
“” वैसे डर हो लक्ष्य के दृष्टिकोण पर, प्रतियोगिता हो अविस्मरणीय, अविश्वसनीय और अप्रत्याशित के साथ तो व्यवस्थित प्रवृत्ति ही Focus है । “”
“” उपलब्धि को साधने में युक्तियुक्त निभाई गई विधि ही Focus है। “‘
उदाहरण सरलता से समझने के लिए –
“” श्रीकृष्ण द्वारा पांडवों को महाभारत का युद्ध जितवाना उनका लक्ष्य कहा जा सकता है। “”
अन्य परिस्थितियों में तीन अजेय माने जाने वाले योद्धा भीष्मपितामह, गुरुद्रोण व महारथी कर्ण व सगे संबंधियों का प्रतिपक्ष में होना।
इधर द्रोपदी, भीष्म व अर्जुन की प्रतिज्ञा के बीच भीम पुत्र घटोत्कच के प्राणों की बलि दिलवाना ताकि कर्ण के अजेय शस्त्र से अर्जुन की रक्षा की जा सके।
विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होना Focus कहलाता है।
वहीं कर्ण द्वारा परिस्थितियोंवश अपने प्रतिद्वंद्वी अर्जुन पर अमोघ शक्ति का प्रयोग करने के बजाय दुर्योधन के अनुरोध पर घटोत्कच के वध में प्रयोग में लाना।
इसमें अपने लक्ष्य को छोड़ दूसरी की सिद्धि प्राप्त करना कहा भी जा सकता है। पर वास्तविकता में तो इसे Non Focus रहना ही कहा जायेगा।
“” अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने की चैतन्यता की Focus कहलवाती है। “”
इसे कई अन्य पहलुओं से भी समझा जा सकता है….
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फोकस का अर्थ | फोकस की परिभाषा
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ , शिष्य – प्रोफेसर औतार लाल मीणा
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
“सोने को पता है कि उसकी कीमत क्या है।
इसलिए वो अपनी रफ्तार में चढ़ रहा है।
और पूरी दुनिया जोर लगा रही है उसे गिरने की,
पर वो अपना रुख खुद तय करता है।”
महेश सोनी
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