शिष्य की कामना | मार्मिक सन्देश
The Disciple’s Wish | Touching Message | Marmik Sandesh
“” मार्मिक सन्देश देती हुई कुछ पंक्तियाँ “”
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मेरे तो श्रीधर लाल, दूसरो न कोई।
जाके माथे चन्द्र ललाट, मेरो गुरुवर सोई ||
तात मात भ्रात बंधु सब, आपनो न दूजो कोई।
छोड़ि दई कुल की कानि, कहा अब करै कोई ||
संतग में ढिग बैठि बैठि, लोक मर्यादा नई रचवाई।
अँसुअन जल सींचि सींचि, प्रेम व ज्ञान की बेलि बोई ||
अब तो बेलि फैल गई, आनंद फल होई।
ज्ञान की गंगा अब उतारो मेरे प्रभु , ताहि भव से विराग मोह होई ||
तोरि संगत में तो मैं राजी भई, जगत देखि तो हर पल रोई।
मोहे को नहीं जानत इस दुनिया में, ता से ही अब मोहि पहचान होई ||
“” दास मानस लाल श्रीधर, तारौ अब मोही “”
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स्रोत – … मीरा बाई
संशोधित रचना – मानस
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शिष्य की कामना | मार्मिक सन्देश
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
गुरुदेव को अपने प्यार भरे शब्दो के सम्मान रूपी जाल मे प्रतिपादित करना अदभुत है।
बहुत सुन्दर 🙏👌🙏
कवि के शब्द तो दिल से निकलते है,,,
दिमाग से तो सिर्फ मतलब निकलते है।।।
एक विचारक (लेखक) ✒️ बने कवि 😊😊
अभीष्ट!
Good
“ज्ञान समुद्र तुम , गुरुवर खेवैया|
तारण- तरण जग रीत है भैया ||”