कसूर की परिभाषा | कसूर क्या है
Definition of Fault | Meaning of Criticize | Kasur Ki Paribhasha
“” कसूर “”
“” सही या गलत होने पर नहीं अपितु दूसरे की भावनाओं के आधार पर आरोप ही कसूर कहलाता है। “”
“” मानसिकता असन्तुष्टि जब किसी के अकल्पनीय व्यवहार से उपजे तो उसे कसूर कहते हैं। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” क “” से कहर बरपाना
“” स “” से संशय
“” र “” से रस्साकशी
“” कहर बरपाना हो जब संशय पर तो रस्साकशी में किसी का कसूर बताना तो लाज़मी ही हो जाता है। “”
वैसे “” क “” से कुचलना
“” स “” से संदेह
“” र “” रौबदार
“” कुचलना हो जब संदेह को तो रौब में किसी का तो कसूर निकलना ही पड़ता है। “”
मानस की विचारधारा में –
“” किसी के नियम को भंग या असहजता बनाने में की गई गफ़लत ही कसूर है। “‘
—- “” सजगता व धैर्यता जब धराशायी होकर किसी के प्रति तल्खी इख़्तियार करे तो वहां किसी का कसूर ही है। “” —-
“” कभी कभार एक छोटा कसूर किसी की जान पर ही खेल जाता है, तो कभी भयंकर अपराध भी क्षम्य हो जाता है ;
ये दोनों ही सामने प्रतिपक्ष के स्वभाव व सँस्कार पर निर्भर करता है। “”
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कसूर की परिभाषा | कसूर क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
🙏👌🙏
कसूर ना मेरा था, ना उनका…
वक्त को शायद मंजूर यही होगा ।।