दुःख की परिभाषा | दुःख का अर्थ
Definition of Grief | Meaning of Pain | Dukh Ki Paribhasha
“” दुःख “”
“” वस्तु विशेष या कार्य की प्रतिक्षारत में अनपेक्षित परिणाम के बावजूद उठाया गया कष्ट ही दुःख कहलाता है। “”
“” अंतर्मुखी व बहिर्मुखी व्यक्तित्व की विरोधाभाषी परिस्थितियों में बना मन का बोझ भी तो दुःख ही है। “”
“” अवांछित परिणाम और उस पर शंकाओं की वजह बनी हृदय पीड़ा भी तो दुःख है। “”
वैसे “” द “” से दुर्दशा
“” ख “” से खीझ
“” दुर्दशा के कारण बनी खीझ भी तो दुःख ही है। “”
वैसे “” द “” से दोगलेपंथी
“” ख “” से ख़ौफ़ज़दा
“” दोगलेपंथी परिणामों से ख़ौफ़ज़दा रहना भी तो दुःख ही है। “”
“” अनियंत्रित, असंयमित व असन्तुलित इंद्रियों की भोग वृत्ति से बनी उलझन भी तो दुःख है। “”
“” मानसिक प्रवृत्ति जब दोहरा चरित्र के साथ साथ अव्यवस्था की शिकार भी हो तो परेशानियों का बना कनुम्बा ही दुःख है। “”
“” दुःख देखा जाये तो हृदय पीड़ा को दर्शाता है,
परन्तु दुःख ही है जो ऊपर उठना भी सिखाता है,
अलबत्ता दुःख ही है जो इंसान को मानवीय संवेदनाओं से परिचय करवाता है ,
और तो और दुःख ही है जो वास्तविक हमदर्दों या खैरख्वाहों से रूबरू करवाता है। “”
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दुःख की परिभाषा | दुःख का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
दुःख…..
कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे साहब,,,
सच में वो लोग सिर्फ कहा ही करते थे ।।।
दुख ने मुझको
जब-जब तोड़ा,
मैंने
अपने टूटेपन को
कविता की ममता से जोड़ा,
जहाँ गिरा मैं,
कविताओं ने मुझे उठाया,
हम दोनों ने
वहाँ प्रात का सूर्य उगाया।