Tuesday, December 24, 2024

Definition of Liking | निःस्वार्थ की परिभाषा

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निःस्वार्थ की परिभाषा | निःस्वार्थ का अर्थ
Definition of Liking | Meaning of Liking | Niswarth Ki Paribhasha

| निःस्वार्थ |

“” बिना हितों की महत्वत्ता में कार्यसिद्धि ही निःस्वार्थ है। “”

“” पुरुस्कार विहीन कार्य तृष्णा ही निःस्वार्थ है। “”

सन्धि विच्छेद
निः + स्व + अर्थ

“” व्यवहार शैली में न्यून स्व के अर्थ होने की स्वीकार्यता ही निःस्वार्थ कहलाता है। “”

“” निष्पक्षता को निर्मूल करते हुए न्यूनतम स्वहित की साध्यता की होड़ ही निःस्वार्थ को जन्म देती है। ””

वैसे “” न “” से न्यूनतम जहां व्यवहार में शामिल होना शिष्टाचार हो,
वहाँ रिश्ते सिर्फ मतलब के ही रह जाते हैं ;
“” स् “” से सन्देहास्पद जहां कार्यवाही का हिस्सा बने ,
वहाँ निष्पक्षता की कल्पना करना ही बेमानी है ;
“” व “” से वजूद जहां दाव पर लगाया गया ,
परिणाम हमेशा ही चोंकाने वाले ही रहते हैं ;

“” र “” से रंगत जहां बेहतर करने की वजह से हो,
वहाँ हर कार्य बहुत ही सलीके से किया जाता है ;
“” थ “” से थिरकना जहां इतराने को जताने लगे,
वहाँ हवा की उड़ान वास्तविकता से दूर करती है ;

“” वैसे न्यूनतम सन्देहास्पद वजूद जब रंगत में थिरकने लगे तो वहां वह निःस्वार्थ है। “”

वैसे”” न “” से न के बराबर जहां छल प्रेम में यदि शामिल हो जाये ,
वहाँ सम्बन्धों में प्रगाढ़ता स्वतः आने लगती है ;
“” स् “” से संकीर्ण मानसिकता जहां जीवन प्रणाली से परिलक्षित होने लगे ,
वहाँ ऊँचे मुकाम हासिल करना बहुत दूर की कौड़ी बन जाता है ;
“” व “” से वसूली जहां बस आदत में शुमार हो,
परिणामस्वरूप मानवीय मूल्यों का पतन होना तय है ;

“” र “” से रणनीति जहां बेहतर की बजाय येनकेन तक सीमित हो,
वहाँ हर कार्य का बहुत ही निचले स्तर पर जाना तय है ;
“” थ “” से थोपना जहां आदतन शुमार हो,
वहाँ अपनी गलती की स्वीकृति कभी संभव हो ही नहीं सकती है ;

“” वैसे न के बराबर संकीर्ण मानसिकता वसूली की रणनीति जब व्यवहार में थोपी जाये तो वहां निःस्वार्थ होता है। “”

“” सर्वकल्याण भावना के निहितार्थ क्रियान्वयन ही निःस्वार्थ है। “”

“” थोड़ा स्वार्थ आदमी को कार्यव्यवहार में सजग बनाता है परन्तु निःस्वार्थी होना तो मानव को देवतुल्य और संतत्व की ओर अग्रसर करवाता है। “”

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निःस्वार्थ की परिभाषा | निःस्वार्थ का अर्थ

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
1 year ago

निःस्वार्थ 🙏🙏

जरूरी तो नहीं कि हर रिश्ते मे प्यास हो,,,
बेवजह भी इक नदी समंदर में मिलती है।।।

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