सिद्धांत की परिभाषा | सिद्धांत क्या है
Definition of Principle | Meaning of Theory | Siddhant Ki Paribhasha
Definition of Principle | Meaning of Theory | Siddhant Ki Paribhasha
“”” सिद्धांत “”
“” किसी गुण व कार्य की विशेष दक्षता ही सिद्धि कहलाती है। “”
“” प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निपुणता या महारत हासिल करना ही सिद्धि कहलाती है। “”
“” व्यवहारिक नियमावली जिसके प्रति पूर्ण मनोयोग से समर्पित होना ही उसे सिद्धांत बनाता है। “”
मानस के अंदाज में –
“” स “” से संजीदगी जहां कार्यव्यवहार में शामिल होने लगे,
वहाँ कार्यकुशलता के साथ साथ परिणाम भी बदलने लगते हैं ;
“” ध “” से ध्यान जहां निपुणता के साथ निभाया जाये,
वहाँ गुणवत्ता हर चीज में देखने लायक बनती है ;
“” द “” से दूरदर्शिता जहां नवस्थापना या नवसंचार के लिये अपनाई जाये,
वहाँ उसकी उपयोगिता कई गुना बढ़ जाती है ;
“” न “” से नियमबद्धता जहां जब कार्यशैली के लिये अपनाई जाती हो,
वहाँ संचालन सुचारू रूप से होना भी तय हो ही जाता है ;
“” त “” से तर्कशीलता जहां निर्णय लेने में प्रमुखता रखे,
वहाँ सही व गलत नहीं सिर्फ सैद्धांतिक तय होता है ;
“” वैसे संजीदगी जहां ध्यान / कर्म और दूरदर्शिता के प्रति हो, वह सिद्धि कहलाती है। “”
“” “” वैसे संजीदगी जहां ध्यान / कर्म और दूरदर्शिता के प्रति हो,
वहाँ नियमबद्धता के साथ तर्कशीलता ही सिद्धांतों का निर्माण करती है। “”
“” जीवनशैली द्वारा वह निर्धारण जिसके प्रति समर्पण और निष्ठा के साथ क्रियान्वयन भी शामिल हो,
उसे सिद्धांत कहते हैं। “”
“” किसी क्रियाप्रणाली को संचालित करने हेतु नियमों के निर्धारण व निर्देशन के मूल तत्व ही सिद्धांत कहलाते हैं। “”
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सिद्धांत की परिभाषा | सिद्धांत क्या है
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