Saturday, February 22, 2025

Meaning of Devotion | “मोक्ष की दूसरी सीढ़ी”

More articles

“प्रेम” | “मोक्ष की दूसरी सीढ़ी”
Meaning of Devotion | Meaning of Faithfulness | Meaning of Dedication

“प्रेम” |  “मोक्ष की दूसरी सीढ़ी”

प्रेम का शाब्दिक अर्थ है “आत्मीयता,प्यार,अनुरागया “स्नेह”।

  • संस्कृत में प्रेम: “प्र” (उत्कृष्ट) + “म” (मूल भाव), अर्थात गहन आत्मीयता।
  • लौकिक: माता-पिता, परिवार, मित्र, और प्रेमी-प्रेमिका के बीच।
  • अलौकिक: आत्मा और परमात्मा के बीच का प्रेम।

यह भावनाओं, संबंधों और जीवन के हर पहलू को समृद्ध करता है। प्रेम का अर्थ केवल रुमानी भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें करुणा, स्नेह, त्याग, और दूसरों के प्रति संवेदनशीलता का भी समावेश होता है। यह भावनात्मक, आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत व्यापक और गहन अवधारणा है। 

साहित्यिक संदर्भ में प्रेम

लौकिक प्रेम

  • लौकिक प्रेम मानवीय संबंधों में गहरे स्नेह, आकर्षण, और समर्पण का प्रतीक है।
  • प्रेम का यह रूप वात्सल्य (माता-पिता), मित्रता और श्रृंगार भावनाओं में प्रकट होता है।

कुछेक प्रसिध्द रचनायें –

  1. जयदेव का “गीत गोविंद”
    • राधा-कृष्ण के लौकिक और अलौकिक प्रेम का सुंदर वर्णन।
    • श्रृंगारिक प्रेम (मिलन और वियोग)।

स्मर गरल खंडनं मम शिरसि मंडनं।
देहि पदपल्लव मुदारं।”

[हे प्रिय, मेरे जीवन का विष केवल तुम्हारे चरणों के प्रेम से शांत हो सकता है।]

  1. कालिदास का “अभिज्ञान शाकुंतलम्”
    • प्रेम का लौकिक और सामाजिक संदर्भ।
    • शकुंतला और दुष्यंत के प्रेम में वियोग और पुनर्मिलन का भाव।

आध्यात्मिक प्रेम

  • आध्यात्मिक प्रेम का अर्थ है आत्मा और परमात्मा के बीच का प्रेम।
  • यह प्रेम त्याग, भक्ति, और आत्मसमर्पण का प्रतीक है।

कबीर का प्रेम दर्शन –

    • प्रेम को भक्ति और मोक्ष का मार्ग बताया।

प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समाय।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाय।”

प्रेम में “मैं” (अहंकार) का त्याग मोक्ष की ओर ले जाता है।

प्रेम-भक्ति के बिना संसार के कष्टों का सामना करना कठिन है।

नारद भक्ति सूत्र –

    • प्रेम को “सर्वोच्च भक्ति” का रूप बताया गया।

सा तु अस्मिन परम प्रेम रूपा।”

  • नारद ने भक्ति को प्रेम का सर्वोच्च रूप बताया और कहा कि आत्मा ईश्वर के प्रति प्रेम में ही अपने अस्तित्व को भूलकर मोक्ष प्राप्त कर सकती है।

मीरा बाई का समर्पण –

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।”

  • ईश्वर का प्रेम ही उनके लिए मोक्ष था।

 दार्शनिक संदर्भ में प्रेम –

भारतीय दर्शन में प्रेम का स्थान बहुत गहन और व्यापक है, आत्मा और परमात्मा के बीच के प्रेम और भक्ति के गहरे संबंध को इंगित करता यह श्लोक –

नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो, न मेधया न बहुना श्रुतेन।
यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः, तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूं स्वाम्॥”

कठोपनिषद (1.2.23)

शाब्दिक अर्थ:

  • नायमात्मा: आत्मा (या ब्रह्म) को।
  • प्रवचनेन लभ्यः: न ही व्याख्यानों (प्रवचन) से प्राप्त किया जा सकता है।
  • न मेधया: न ही तीव्र बुद्धि या विद्वता से।
  • न बहुना श्रुतेन: और न ही वेदों या शास्त्रों के बहुत अध्ययन से।
  • यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः: जिसे ब्रह्म (या आत्मा) स्वयं चुनता है, वही उसे प्राप्त कर सकता है।
  • तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूं स्वाम्: उसके लिए ही आत्मा (ब्रह्म) स्वयं को प्रकट करता है।

भावार्थ :

यह श्लोक यह स्पष्ट करता है कि आत्मा (या ब्रह्म) का साक्षात्कार केवल शास्त्रों के अध्ययन, बुद्धि, या प्रवचनों से संभव नहीं है।

  • ईश्वर या ब्रह्म का साक्षात्कार केवल उसकी कृपा से संभव है।
  • जब व्यक्ति ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित होता है और उसे सच्चे प्रेम, भक्ति, और आंतरिक पवित्रता से चाहता है, तो ईश्वर उसे स्वयं चुनता है।

अन्य संदर्भ:

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥”

भगवद्गीता (18.66)

अर्थ: सभी धर्मों को छोड़कर, केवल मुझमें शरण लो। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूँगा।

यहाँ आत्मसमर्पण और भक्ति को सर्वोच्च मार्ग माना गया है।

अंत में इतना ही कहना चाहूँगा कि –

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
“ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”

कबीर ने प्रेम को ब्रह्म की अनुभूति व प्राप्ति का साधन बताया। प्रेम समर्पण का ही दूसरा नाम है|

These valuable are views on Meaning of Devotion | Meaning of Faithfulness | Meaning of Dedication
“प्रेम” | “मोक्ष की दूसरी सीढ़ी”

विचारानुरागी एवं पथ अनुगामी –

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पंथ
शिष्य – डॉ औतार लाल मीणा
विद्यार्थी – शोधार्थी, दर्शनशास्त्र विभाग 【 JNVU, Jodhpur 】
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों को जगत के केंद्र में रखते हुऐ शिक्षा, समानता व स्वावलंबन का प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने का प्रयास।
बेबसाइट- www.realisticthinker.com

4 COMMENTS

Subscribe
Notify of
guest
4 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Sanjay Nimiwal
Sanjay Nimiwal
1 month ago

अतिसुन्दर 🙏👌

प्रेम एक अटूट शक्ति है।
यह धर्म है, यह कर्म है,
यह ईश्वर की भक्ति है।।

Sandeep KUMAR
Sandeep
1 month ago

बहुत सुन्दर।

Radha Krishan
Radha Krishan
1 month ago

अति सुंदर,बंधु,वास्तविकता के अति समीप हृदय पूर्ण टिप्पणी 😍प्रेम ही आदि ,प्रेम ही अंत,बिना प्रेम के मोक्ष की कल्पना ही नहीं की जा सकती

sajjankumar singhmar
Sajjan
22 days ago

बहुत खूब

Latest