Sunday, February 23, 2025

Meaning of Forgiveness | “मोक्ष की तृतीय सीढ़ी”

More articles

“क्षमा” | “मोक्ष की तृतीय सीढ़ी”
Meaning of Forgiveness | Meaning of Pardon | Meaning of Patience

“क्षमा ” : मानवता को चरितार्थ करता दिव्य गुण

क्षमा का अभिप्राय दोष, अपराध या अपमान को सहन करना।
/ हृदय में किसी के लिए और किसी भी प्रकार का द्वेष या क्रोध न रखना।
/ इसे शांति, सहिष्णुता और सहनशीलता का पर्याय भी कहा जा सकता है।

“क्ष” का अर्थ है “क्षय” (घटाना या समाप्त करना)
“मा” का अर्थ है “मापना” या “सीमा”

“क्षमा” का तात्पर्य है सीमाओं को समाप्त कर देना अर्थात दोषों, अपराधों और कटुता को क्षमा कर देना। यह गुण मानव जीवन को उच्चतम आध्यात्मिक स्तर तक पहुंचाने में सहायक है।

“क्षयति पापानि इति क्षमा।”
जो निश्चय सभी पापों को समाप्त कर दे, वह क्षमा है।

भारतीय दर्शन में क्षमा आत्मा के स्वाभाविक गुण के साथ यह एक आंतरिक साधना भी है। जो व्यक्ति को क्रोध, अहंकार और द्वेष से मुक्त होकर शुद्धता और समता में स्थित होना सिखाता है,  जिससे वह मोक्ष का आधार भी बन जाता है।

“क्षमा धर्मः क्षमा यज्ञः क्षमा वेदाः क्षमा श्रुतम्।
यः क्षमावान स धर्मात्मा स च ज्ञानी स च तपस्वी।”
महाभारत
क्षमा ही धर्म है, क्षमा ही यज्ञ है और क्षमा ही ज्ञान है। यह आत्मा को शुद्ध और उच्च बनाती है।

क्षमा के विभिन्न पहलू –
आध्यात्मिक क्षमा

आध्यात्मिक दृष्टि से क्षमा आत्मा की शुद्धि का साधन है। व्यक्ति जब अपने शत्रु को क्षमा करता है, तो वह अपने भीतर के क्रोध और घृणा का त्याग करता है।

“दमः क्षमा च आर्जवम् अहिंसा सत्यम्।”
(भगवद्गीता)

दम (इंद्रियों का संयम), क्षमा (दोष सहन करने का भाव), अहिंसा (हिंसा का अभाव) और सत्य दैवी सम्पदाएँ हैं।

“क्षमया धर्म लभते, क्षमया स्वर्गमाप्नुयात्।”
क्षमा से धर्म और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

बौद्ध धर्म में क्षमा “मेट्टा” (मैत्री) और “करुणा” (दया) का भाग है।
यह मन की अशुद्धियों को समाप्त कर निर्वाण (मोक्ष) तक पहुंचने में सहायक है।
“अध्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।”
(भगवद्गीता)
मोक्ष मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति सब जीवों के प्रति द्वेष रहित, मित्रवत और करुणामय होता है।

“तस्मै स विजानाति यत्र न क्रोधः।”
(छांदोग्य उपनिषद)
जहां क्रोध नहीं होता, वही आत्मज्ञान की अवस्था है।

“क्षमावान धर्मवान।”
(तत्त्वार्थसूत्र, अध्याय)
क्षमाशील व्यक्ति ही धर्मात्मा है।

मानवीय क्षमा

मनुष्य के लिए क्षमा एक नैतिक गुण है, जो उसके जीवन में शांति और प्रेम का प्रवाह करता है। यह न केवल दूसरों के प्रति हमारी सहानुभूति को बढ़ाता है, बल्कि हमारे संबंधों को भी मधुर बनाता है।

“Weak can never forgive. Forgiveness is the attribute of the strong.”

“क्षमा वीरों का गुण है। कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता।”
महात्मा गांधी
क्षमा केवल मजबूत व्यक्तित्व वाले लोग ही कर सकते हैं।

“क्रोध को क्षमा से जीता जाता है।”
(धम्मपद)
बुद्ध ने क्षमा को आत्मिक उन्नति और निर्वाण के लिए अनिवार्य बताया।

सामाजिक क्षमा

क्षमा सामाजिक जीवन में शांति और सौहार्द बनाए रखने का साधन है। यह समाज में द्वेष, क्रोध और हिंसा को समाप्त करता है।

“ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न।
छोट-बड़े सब मिलकर खाएँ, रविदास रहे प्रसन्न।।”
संत रविदास
यहाँ क्षमा और समानता को आदर्श समाज की नींव बताया गया है।

“क्रोध को क्षमा से ही जीता जा सकता है।”
महात्मा बुद्ध

“क्षमा गुणानां राजते शिरोमणिः।”
कालिदास
क्षमा गुणों का मणि (श्रेष्ठतम) है।

“Forgiveness is the final form of love.”

“क्षमा आत्मा की स्वाभाविक भाषा है। यह प्रेम और शांति का मूल है।”
रवीन्द्रनाथ टैगोर

“Father, forgive them, for they know not what they do.”

“पिता, इन्हें क्षमा करो, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।”
(ल्यूक 23:34) ईसा मसीह (बाइबिल)

“Forgiveness is not an occasional act; it is a constant attitude.”
मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr.)

“Resentment is like drinking poison and then hoping it will kill your enemies. Forgiveness liberates the soul.”
नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela)

“You cannot forgive others without strengthening your soul.
Forgiveness is the sign of true spiritual progress.”
स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda)

“If you want to be respected by others, the great thing is to respect others and forgive their mistakes.”
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Dr. A.P.J. Abdul Kalam)

आत्म-क्षमा (Self-Forgiveness)

क्षमा केवल दूसरों के लिए नहीं, बल्कि स्वयं के लिए भी आवश्यक है। आत्म-क्षमा का अर्थ है अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उन्हें सुधारने का प्रयास करना। यह आत्मा को बंधनों से मुक्त करता है।

“खमामि सव्वे जीवा, सव्वे जीवा खमंतु मे।”
(क्षमावाणी सूत्र)
मैं सभी प्राणियों को क्षमा करता हूं, और सभी प्राणी मुझे क्षमा करें।

जैन धर्म में क्षमा आत्मा का स्वाभाविक धर्म माना गया है। क्षमावाणी पर्व के माध्यम से जैन अनुयायी अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हैं। में क्षमा को “महाव्रत” और “परम धर्म” बताया गया है। दसधर्म सूत्र में क्षमा को “दस धर्मों” में प्रथम स्थान दिया गया है, जो आत्मा को पवित्र और शुद्ध करने में सहायक है।

“क्षमायां शीलं।”
क्षमा आत्मा का स्वभाव है।

पतंजलि योगसूत्र में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह के साथ क्षमा का अभ्यास “यम” और “नियम” के रूप में आता है।

“अहिंसा प्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैरत्यागः।”
(पतंजलि योगसूत्र)

योगसूत्रों में अहिंसा को क्षमा से जोड़कर देखा गया है। अहिंसा और क्षमा के अभ्यास से वैराग्य और कैवल्य की प्राप्ति होती है।

“मन चंगा तो कठौती में गंगा।”
संत नामदेव

“पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
वैर विरोध मिटा मन से, हरि से प्रीति बढ़ायो।।”

मीरा बाई

“वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे।”
नरसी मेहता

मीरा बाई के भजनों में क्षमा, प्रेम, और समर्पण का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति में क्षमा को ईश्वर की कृपा के रूप में देखा।

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।”

अंत में कबीर का यह दोहा आत्म-विश्लेषण के साथ क्षमा का भी संदेश देता है।

These valuable are views on Meaning of Forgiveness | Meaning of Pardon | Meaning of Patience
“क्षमा” | “मोक्ष की तृतीय सीढ़ी”

विचारानुरागी एवं पथ अनुगामी –

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पंथ
शिष्य – डॉ औतार लाल मीणा
विद्यार्थी – शोधार्थी, दर्शनशास्त्र विभाग 【 JNVU, Jodhpur 】
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों को जगत के केंद्र में रखते हुऐ शिक्षा, समानता व स्वावलंबन का प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने का प्रयास।
बेबसाइट- www.realisticthinker.com

2 COMMENTS

Subscribe
Notify of
guest
2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Seema
Seema
29 days ago

👌 speechless & helpful

sajjankumar singhmar
Sajjan
23 days ago

Motivating

Latest