चिंता की परिभाषा | चिंता का अर्थ
Definition of Anxiety | Meaning of Worry | Chita Ki Paribhasha
“” चिंता “”
“” अनिष्ट से आशंकाग्रस्त होकर अकर्मण्यता व आकस्मिक लाभ व निदान का उपेक्षारत विचार ही चिंता है । “”
साधारण शब्दों में –
“” सुख साधनों की विलुप्तता का डर व अशुभ आदेशों में दुखी या जड़त्व होने का विचार ही चिंता है । “”
वैसे “” चि “” से चिर आनन्द जहां येन केन बनाये रहने की इच्छा बनी हो ,
वहां बैचैनी व अनिंद्रा का वास बनना तय है ;
“” न् “” न्यूनता ( एकांकी / शून्यता ) जहां काम की अग्रसर होने में बाधक हो ,
वहां अकेलापन व अलग थलग पड़ना स्वभाविक प्रक्रिया है ;
“” ता “” से तारतम्यता जहां सकारात्मकता में दरकिनार कर दी जाये तो ,
वहां कार्य में असंतोष व अकुशलता का प्रभाव बना रहता है ;
वैसे चिर आनन्द हेतु जहां कार्य की न्यूनता हो,
वहां सकारात्मक तारतम्यता का अभावात्मक विचार ही चिंता कहलाती है ।
“” चिंतन सार्थक और चिंता विध्वंसक की प्रक्रिया है “”
“” आपका चुनाव आपकी जीवनशैली व व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होगा। “”
“” चिंता व चिंतन में “” चिंतन “” ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।””
“” चिंतन उलझनों में घिरी मंद बुद्धि के आवरण यानि मैल को जलाती है परन्तु चिंता शरीर ही नहीं जीवन के हर क्षण जलाती है । “”
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चिंता की परिभाषा | चिंता का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।