कर्ज़ की परिभाषा | कर्ज़ क्या है
Definition of Debt | Meaning of Loan | Karz Ki Paribhasha
“” कर्ज़ “”
“” जब किसी प्राणी द्वारा भविष्य में उऋण होने की प्रबलता के बदले सेवा, धन या वस्तु का उपभोग करना ही कर्ज कहलाता है। “”
“” आत्मसम्मान बचाने के लिए किसी से वायदे में कुछ स्वीकार करना भी तो कर्ज़ ही है। “”
“” अपनी इच्छापूर्ति के लिए उपहार स्वरूप लेना भी कर्ज़ ही तो है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” क “” से कृतज्ञता
“” र् “” से रहनुमाई
“” ज “” से जंजीर
“” कृतज्ञता जहां रहनुमाई की जंजीर से बन्ध जाये तो वह कर्ज़ कहलाता है। “”
वैसे “” क “” से कर्त्तव्यबोध
“” र् “” से रस्म
“” ज “” से जवाबदेहिता
“” कर्त्तव्यबोध की रस्म जब जवाबदेही हो जाये तो वह कर्ज कहलाता है।””
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
“” भावनाओं के समुंदर में किया गया एक उपकार भी कर्ज़ ही है। “”
“” जब देनदारी सिर के ऊपर हो तो वह कर्ज़ ही कहलाता है। “‘
—- “” कर्ज़ हर वक़्त बुरा नहीं है जैसे ही इसे हल्के में लिया है फिर न जाने क्यूँ हर बार मीठा ज़हर ही साबित हुआ है। “” —-
“” कर्ज जब हद से ज्यादा हो तो व्यक्तित्व हो या व्यापार उसके अस्तित्व को ही डूबा देता है। “”
“” वैसे कर्ज ही है जो इंसान हो या व्यापार उसको जिम्मेदार , संघर्षशील व लक्ष्योन्मुखी भी बनाता है। “”
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कर्ज़ की परिभाषा | कर्ज़ क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
बहुत खूब


यही तो खासियत है
इस जिंदगी की,
कर्ज वे भी चुकाने पड़ते हैं,
जो कभी लिए ही नहीं…..
कुछ कर्ज प्रकृति प्रदत होते हैं जैसे – मां- पिता का कर्ज।कुछ कर्ज इंसान के द्वारा किए गए होते हैं ।अगर कर्ज पैसों का है, तो उसे आसानी से चुकाया जा सकता है ,लेकिन अगर कर्ज रिश्तों से संबंधित है तो उसे जीवन भर भी चुका पाना असंभव है ।
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