Saturday, July 27, 2024

Definition of Fault | दोष की परिभाषा

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दोष की परिभाषा | दोष क्या है
Definition of Fault | Meaning of Shortcoming | Dosh Ki Paribhasha

“” दोष “”

“” किसी वस्तु एवं प्राणी के क्रियाकलापों में अंतर्निहित तत्व या घटक से अवांछित और अप्राकृतिक लक्षणों का प्रादुर्भाव होना ही दोष है। “”

“” अमर्यादित भावों का प्रकट होकर नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करना भी तो दोष ही है। “”

सामान्य परिप्रेक्ष्य में –

वैसे “” द “” से दोगलापन
“” ष “” से षड्कर्म 【 देखना, सुनना, महसूस करना , गंध व स्वाद को जानना और अनुभव 】

“” जहां षड्कर्म में दोगलापन ही तो दोष का परिचायक है। “”

वैसे “” द “” से दखलंदाजी
“” ष “” से षड़यंत्र

“” जहां दखलंदाजी हो षड़यंत्र की तो वह मानवीय मूल्यों में दोष ही कहलाता है। “”

मानस की विचारधारा में –

“” मूल्यों के अनपेक्षित व्यवहार से कलह में या कलंकित होना भी तो दोष ही कहलाता है। “‘

“‘ गुणों का अविश्वसनीय विनाशकारी क्रियान्वयन भी तो दोष ही है। “”

“” व्यवहारिकता का शर्मिंदगी या पतन की अग्रसर करवाना भो तो दोष ही है। “”

—– “” दोष, गुणों का ही विध्वंसक या अप्रत्याशित स्वभाव है। “” —–

“” इत्तेफाक से दुनिया की नजर में कभी कभी तो आपके सद्गुण भी उनको दोष नजर आते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि आप अपने में सुधार के रास्ते बंद कर लें। “”

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दोष की परिभाषा | दोष क्या है

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
1 year ago

सुन्दर व्याख्या 👌👌👌

दुनिया का तो काम ही है,

हर किसी में दोष निकालना ।

बस मेरे अपने और मेरा रब राजी रहे।।।

Amar Pal Singh Brar
अमर पाल सिंह बराड़
1 year ago

बहुत बढ़िया व्याख्या

अपने दोषों को दूर करने हेतु कृत-संकल्प रहना और दूसरों को उनके दोषों सहित स्वीकार करना ही जीवन की कला है |

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