क्रोध की परिभाषा | क्रोध का अर्थ
Definition of Ire | Meaning of Fury | Krodh Ki Paribhasha
| क्रोध |
“” सैद्धांतिक प्रयासों में बलहीन होने पर प्रतिकार हेतु शारीरिक शक्ति का ज्वलंत प्रयोग ही क्रोध है। “”
“” गुस्सा कायरता का प्रदर्शन वहीं विरोधाग्नि का साहसिक प्रयत्न हेतु प्रयोग ही क्रोध है। “”
“” शक्ति सिध्दि में असहाय या पराजय के डर को मन से निकालने में स्वर स्वरूप विध्वंसक कर्ण चिर ध्वनि भी क्रोध ही है। “”
वैसे “‘ क “‘ कहर जहां जब भी बरपा है,
वहाँ सिर्फ विनाश ही हुआ है ;
“” र “” रंज जहां जब भी रह गया ,
रातों की नींद व सकून साथ ले गया ;
“” ध “” धकेलना जहां जब भी व्यवहार में हुआ,
मर्यादा को सदैव तार – तार कर गया ;
“” वैसे कहर को रंज मिटाने में जब भी धकेला गया तो वह क्रोध ही कहलाया। “”
वैसे “” क “” से क्रूरता जहां जब भी हुई,
उसने सदैव मानवता को जख्म ही दिये हैं ;
“” र “” से रण जहां जब भी हुआ,
अच्छा तो कम बुरा ही ज्यादा हुआ ;
“” ध “‘ धधकाना जहां जब हुआ ,
वहाँ शान्ति को सदा के लिए किनारे कर गया ;
“” वैसे क्रूरता रण में जब धधकती है तो वह क्रोध ही कहलाती है। “”
“” युद्ध या वीरता प्रदर्शन में आत्मबल प्राप्ति हेतु रौद्र रूप धारण करना ही क्रोध कहलाता है। “”
“” क्रोधाग्नि जब तक अंहकार को शांत नहीं करती वह सिर्फ शरीर ही नहीं सकून भी साथ जला देती है। “‘
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क्रोध की परिभाषा | क्रोध का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना
जिन्हें गुस्सा आता है वे लोग सच्चे होते हैं,,
मैंने देखा है झूठों को अक्सर मुस्कुराते हुए।।