हद की परिभाषा | हद क्या है
Definition of Limitations | Had Ki Paribhasha | Meaning of Margin
“” हद “”
“” अधिकार व दायित्व के प्रयोग करने तय सीमा ही हद कहलाती है। “”
“” कार्यव्यवहार की मर्यादा भी तो हद ही कहलाती है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” ह “” से हक़
“” द “” से दावेदारी पेश करना
“” हक़ की दावेदारी पेश जहां तक की जा सके वह हद कहलाती है।””
मानस के अंदाज में –
“” जहां पहरे किसी की पहुंच तय करते हैं तो वे भी हदें कहलाती हैं। “”
—- “” कायदे जहां विचारों में पाये जाते हैं तो वे हदें बन जाती हैं। “” —-
“” हदें जब टूटती हैं सकारात्मक दिशा में तो नये आयाम रचतीं हैं,
बिखरती हैं नकारात्मकता में तो सिर्फ अलगाव, विनाश व विध्वंस रचतीं हैं।
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
सटीक व्याख्या 🙏👌🙏
बहुत हदें पार की है,
अपनापन पाने के लिए ।
आज अपनो ने ही सिखा दिया,
अपनी हद मे रहना ।।
बहुत खूब
हद चले सो औलिया
अनहद चले सो पीर
हद अनहद दोनों चले
उसका नाम फकीर
गज़ब बराड़ साहब