उपेक्षा की परिभाषा | उपेक्षा का अर्थ
Definition of Neglecting | Meaning of Forgotten | Upeksha Ki Paribhasha
| उपेक्षा |
“” किसी व्यक्ति या वर्ग के तिरस्कार की भावना में अनसुना करने की प्रवृत्ति ही उपेक्षा कहलाती है । “”
“” किसी को सहजता से अनजान रखने की मनोवृत्ति ही उपेक्षा कहलाती है । “”
वैसे “” उ “” से उलाहना जहां देने की परंपरा नहीं हो,
वहाँ व्यवहार में उस विषय की अदृश्यता होना लाजमी है ;
“” प “” से परोक्ष जहां ना कहने की आदत में खुमारी हो,
वहाँ अहंकार सातवें आसमान में चढ़कर असहायों को भी अनदेखा करता है ;
“” क्ष “” से क्षय जहाँ प्रेम व परमार्थ का होंना शुरू हो जाये,
वहाँ निरंकुशता व मतलबपरस्ती स्वभाव मे आना लाज़मी है;
“” वैसे उलाहना जहां परोक्ष व्यवहार में शामिल न हो,
वहाँ करूणा व दया के भी क्षय होने का रवैया ही उपेक्षा कहलाता है “”
“” उपेक्षा नकारात्मक विचारधारा से प्रेरित उस बन्दूक के गोली की तरह है,
जो सही समय, सही जगह व सही दिशा में हो तो विध्वंस से बचाती भी है;
वरना इससे विनाश और अलगाव तो सुनिश्चित है। “”
“” सकारात्मक विचारधारा का चुनाव ही स्वस्थ समाज की पूंजी भी है और
“” मानस “” की विचारशक्ति भी। “”
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उपेक्षा की परिभाषा | उपेक्षा का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
अपेक्षा और उपेक्षा
दोनो का ही होना गलत है।
अपेक्षा खुद को घायल करती है,
उपेक्षा दूसरों को ।।।