पक्षपात की परिभाषा | पक्षपात का अर्थ
Definition of Partiality | Meaning of Inequality | Pakshapat Ki Paribhasha
“” पक्षपात “”
“” किसी वर्ग में भी विशेष या असमानता की प्रतीति करवाना पक्षपात कहलाता है। “”
“” किसी अन्य की तुलना में चहेते को अघोषित लाभ पहुंचाने की प्रवृत्ति ही पक्षपात कहलाती है। “”
वैसे “” प “” से पारस्परिक रिश्ते जहां निर्णयों का आधार हो ,
वहाँ अपनों का हित साधने की प्रवृत्ति बनी रहती है;
“” क्ष “” से क्षणिक लाभ जहां स्वभाविक प्रकृति में रच जाये,
वहाँ निर्णय की गम्भीरता व विश्वसनीयता पर सदैव सवाल उठने लगते हैं;
“” प “‘ से पारदर्शिता अभाव जहां मानवीय मूल्यों की प्राथमिकी में दर्ज हो,
वहाँ सर्वहित व सामाजिक समरसता का सदैव खयाल रह नहीं पाता है;
“” त “‘ से ताक पर जहां नियम कायदों व मानवीयता को रखा जाता हो,
वहाँ निर्णय का लक्ष्य सदैव एकपक्षीय या वर्ग विशेष को उपेक्षित रखना होता है;
“” वैसे पारस्परिक रिश्ते जहां क्षणिक लाभ पर पारदर्शिता अभाव रख दे,
वहाँ उसी निर्णायक भूमिका को पक्षपात कहते हैं । “”
हम सिर्फ अधिकारों की बात करते हैं परन्तु सर्वप्रथम दायित्वों का निर्वहन करना भूल जाते हैं । यह हमारे समाज के लिए बड़ी चुनौती है।
पक्षपात की परम्परा परिवार से समाज और फिर कार्यव्यवहार का हिस्सा बनती है।
सर्वप्रथम हमें इसे हमारे जीवन से त्यागना होगा तभी सुंदर, सुदृढ़ व सभ्य समाज की रचना होगी।
यह मानवीय मूल्यों की प्राथमिकता भी है और “” मानस “‘ की विचारधारा का एक उद्देश्य भी।
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पक्षपात की परिभाषा | पक्षपात का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।