Tuesday, September 30, 2025

Definition of Philosopher | दार्शनिक की परिभाषा

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दार्शनिक की परिभाषा | दार्शनिक का अर्थ
Definition of Philosopher | Philosopher Ki Paribhasha

“” Philosopher “”

“” प्रकृति के वास्तविक स्वरूप समझने की उधेड़बुन में खोजी ही दार्शनिक कहलाता है। “”

“” जीवन को सुखद व सरल बनाने में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग व आध्यात्मिक पहलू की तारतम्यता का समालोचक ही दार्शनिक कहलाता है। “”

According with Manas –

“” P “” to Prudent
【 जो दूरदर्शी हो 】
“” H “” to Humanitarian
【 जो मानवीय हो 】
“” I “” to Intellectual
【 जो बुद्धिमान हो 】
“” L “” to Learner
【 जो शिक्षार्थी हो 】
“” O “” to Oriented
【 जो उन्मुखी हो 】
“” S “” to Saviour
【 जो उद्धारक हो 】
“” O “” to Open Minded
【 जो खुले विचारों वाला हो 】
“” P “” to Purity of Mind
【 जो शुद्ध मन वाला हो 】
“” H “” to Honest for Duty
【 जो कर्त्तव्य के प्रति ईमानदार हो 】
“” E “” to Evaluator
【 जो मूल्यांकनकर्ता हो 】
“” R “” to Realistic
【 जो यथार्थवादी हो 】

“” जो दूरदर्शी, मानवीय व बुद्धिमान होते हुए भी शिक्षार्थी ,उन्मुखी व उद्धारक होने के साथ – साथ खुले विचारों वाला , शुद्ध अन्तःकरण वाला व कर्त्तव्य के प्रति ईमानदार हो तो उसका मूल्यांकनकर्ता व यथार्थवादी होना ही उसे दार्शनिक कहलवाता है। “”

“” जो समाज की दशा व दिशा तय रखने का मादा रखे उसे दार्शनिक कहा जा सकता है। “”

“”  किसी व्यक्ति के जीवन जीने का तरीका जब एक बड़ी संख्या में दूसरे अनुसरण करने लगें तो मान लेना कि उसका व्यक्तित्व दार्शनिक से कम नहीं। “”

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दार्शनिक की परिभाषा | दार्शनिक का अर्थ

Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
Follower – Manas Panth
Purpose – To discharge its role in the promotion of education, equality and self-reliance in social.

6 COMMENTS

  1. सुन्दर व्याख्या 🙏🙏

    महानता कभी न गिरने में नहीं….

    बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है।।

  2. प्रकृति भी अपने आप मे एक बहुत बड़ी दार्शनिक ही है, पर आपकी संकलन का जवाब नही है,बंधु

  3. वह प्रत्येक व्यक्ति दार्शनिक है, जो किसी भी घटना, प्रसंग और परिस्थिति को अलग सकारात्मक तरीके से देखता है । उदाहरण के लिए – जब कोई किसी के अंतिम यात्रा में शामिल होता है ,तो घर पर हमें यही शिक्षा दी जाती हैं कि आकर नहाना चाहिए ,किसी भी चीज को छूना नहीं है । नहाओ पहले ।इसका एक पहलू और है कि अंतिम यात्रा में जाने से उत्पन्न हुआ दुख हमारे मन और शरीर को बोझिल कर देता है ,उसी बोझ को उतारने के लिए हम नहाते हैं । ताकि हम ताजगी महसूस कर सकें ,कुछ पल के लिए उस चीज को भूल जाएं। हर एक मनुष्य दार्शनिक हो सकता है , अगर वह अपनी सकारात्मक सोच से किसी पर अपनी सोच का प्रभाव डाल सकें ।

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