प्रतिज्ञा की परिभाषा | प्रतिज्ञा का अर्थ
Definition of Pledge | Meaning of Promise | Pratigya Ki Paribhasha
| प्रतिज्ञा |
“” किसी लक्ष्य पूर्ति हेतु अस्तित्व को ताक पर रख व्यक्तित्व को निखारने में की गई अडिग वचनबद्धता ही प्रतिज्ञा है। “”
“” समर्पण भाव रखते हुए आरक्षित या सरंक्षित करने की आकांक्षा में जिद की प्रधानता होना ही प्रतिज्ञा है। “”
वैसे “” प “” से प्रतिकार जहां अंतर्मन से हो ,
वहां कुछ कर गुजरने की मंशा स्वतः जन्म ले लेती है ;
“” र “” से रंज जहां मन के भाव में विद्यमान रहता है ,
वहां बैचैनी लक्ष्य को साधने तक बनी रहती है ;
“” त “” से तृष्णा की तीव्रता जहां स्वभाव में होती है ,
वहां प्राणी अपने आप को मेहनत की भट्टी में झोंकने से भी पीछे नहीं रहता ;
“” ज्ञ “” से ज्ञेय जब पराकाष्ठा पर पहुंचती है ,
तो वहां हदों को तोड़ने की जिद भी सिर चढ़कर बोलती है ;
“” वैसे प्रतिकार , रंज , तृष्णा व ज्ञेय का चरम सीमा का अवांछित रूप ही प्रतिज्ञा है। “”
प्रतिज्ञा में जिद की प्रधानता बनी रहती है ।
ज़िद सकारात्मक कम व नकारात्मक प्रभाव हद से ज्यादा छोड़ती है अतः ज़िद का कभी अनुसरण नहीं करना चाहिए।
यही शाश्वत सत्य है।
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प्रतिज्ञा की परिभाषा | प्रतिज्ञा का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।