पछतावा की परिभाषा | पछतावा क्या है
Definition of Repentance | Meaning of Penitence |Pachhtava Ki Paribhasha
“” पछतावा “”
“” अनैच्छिक क्रिया के पश्चात सुधार की भी ना कर पाने की छटपटाहट ही पछतावा कहलाता है। “”
“” मन, वचन व कर्म द्वारा घटनाक्रम घटित होने के उपरांत भी न होने देने अभिलाषा में बना मनोयोग ही पछतावा कहलाता है।। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” प “” से परेशान
“” छ “” से छवि
“” त “” से तौबा
“” व “” से वापसी की तलब
“” परेशान छवि जब तौबा में भी वापसी की तलब रखे तो वह पछतावा है। “”
वैसे “” प “” से पुनर्विचार
“” छ “” से छटपटाहट
“” त “” से तिकड़म
“” व “” से वकालत
“” किसी घटना के पुनर्विचार की छटपटाहट में तिकड़म और वकालत भी पछतावा है। “”
मानस की विचारधारा में –
“” भूत, आज और फिर कल में बनने वाला अंतर्द्वंद्व ही पछतावा कहलाता है। “”
“” सुधरने की तमन्ना फिर बनी मजबूरी तो मानसिक तनातनी ही पछतावा हैं। “‘
—- “” जो हो चुका हो और बदलने की चाह और फिर जिसमें बदलने की गुंजाइश भी ना रहे तब बनी तिलमिलाहट ही पछतावा कहलाता है। “” —-
“” पछतावा एक ऐसी पीड़ा है जो समय व परिस्थितियों पर निर्भर करता है,
कोई भी कार्य या मन की बात जो किसी को कहना है कल का इंतजार न करें क्योकि अगले पल की निश्चितता उन्हीं परिस्थितियों के साथ हो ऐसा सम्भव हो ऐसा शायद ही हो। “””
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पछतावा की परिभाषा | पछतावा क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
सटीक व्याख्या 🙏👌🙏
इंसान गलतियों का पुतला है,
कुछ गलतियां जाने-अनजाने ऐसी हो जाती है,
जिनका पछतावा जिंदगी भर रहता है ।।।
पछतावा अपने किए पर होता है । उसमें अपना स्वार्थ भी होता है ,,लेकिन पश्चाताप में मन निर्मल होता है ,हम जो दूसरों के लिए जो बुरा करते हैं, पश्चाताप उसी के लिए है। यह मुख्य अंतर है।