लज्जा की परिभाषा | लज्जा का अर्थ
Definition of Shyness | Meaning of Shame | Lajja Ki Paribhasha
| लज्जा |
“” सार्वजनिक तौर पर भोंडे प्रदर्शन से बचते हुए अपनी भाव भंगिमाओं से आत्मिक विचारों की अभिव्यक्ति देना ही लज्जा है। “”
“‘ अपने लिबास से अपने चारित्रिक हया को सरंक्षित करता प्रदर्शन ही लज्जा है। “”
“” शीलता द्वारा अपने व्यक्तित्व का रक्षात्मक व गौरवपूर्ण प्रकटीकरण ही लज्जा है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” ल “‘ से लिहाज
“” ज “” से जिज्ञासावश
“” ज “” से जुझारुपन
“” लिहाज जिज्ञासावश के साथ जुझारूपन की अवस्था ग्रहण करे तो वहाँ लज्जा है। “”
वैसे “” ल “‘ से लच्छन
“” ज “” से जलन
“” ज “” से जुड़ाव
“” लच्छन जलन में भी जुड़ाव क़ायम करने की अपील करे तो वहाँ लज्जा है। “”
वैसे “” ल “‘ से लम्पटता के लक्षण
“” ज “” से ज़मीर
“” ज “” से जस के तस
“” लम्पटता के लक्षण में ज़मीर भी जस के तस बना रहे तो वहाँ लज्जा है। “”
“” शालीनता के साथ सँकोची भाव विह्ललता ही लज्जा है। “”
“” शर्मीलेपन वजूद का आत्म रक्षात्मक रखते हुए संवाद कायम रखना ही लज्जा है। “”
“” लज्जा स्त्री धन का श्रेष्ठ , सुंदर व शालीनता का गहना है। “”
These valuable views on Definition of Shyness | Meaning of Shame | Lajja Ki Paribhasha
लज्जा की परिभाषा | लज्जा का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
सुन्दर अभिव्यक्ति 🙏🙏
“लज्जा”
मुरझा जाते हैं फूल अक्सर, उन बागों के…
जहाँ पानी देने से ज्यादा उन्हे निहारा जाता है।।
बहुत ही सुंदर पंक्तियों के साथ सटीक अभिव्यक्ति।
‘ लज्जा’ हो जब भाव रुप में,,बनती है नारी का गहना
संस्कारों के दुकूल लपेटे, मुख से सिर्फ मौन रहना
इस भाव, यौवन मद में ,जब चलती मस्त प्रलय बन
प्रकृति भी एकटक निहारती, ऐसी कामिनी, वामा, प्रिया का क्या कहना
जब आती है क्रिया रूप में , पड़ती है शर्मिंदगी सहना पानी पानी में मिल जाता, लज्जित होकर खड़े रहना कम आत्मविश्वासी मनुज का, लज्जा ही सहारा बनता अविश्वास की नैया पर जो हुए आरूढ़, तय है बिन पानी ही डूबे रहना
अंतर्द्वंद ही उसे घेरे रखता, भाषा का अवरोध है बनता, पूर्ण व्यक्तित्व उभर नहीं पाता, असमंजस ही योग बनता
इसी योग के भंवर चक्र में, पूरा जीवन चक्र है चलता
हे! मनुष्य जो चाहते हो, आत्मसम्मान जीवन में लज्जित कर्म तज करके ,कदम बढ़ाओ नूतन पथ में- प्रोफेसर सरला जांगिड़