“” Definition of Victory “” OR “” Vijay Ki Paribhasha “”
“” विजय की परिभाषा “” OR “” विजय का अर्थ “”
“” विजय “”
विजय रथ पर जो कोई भी सवार हुआ ,
मानो अब वह श्री कृष्ण का अवतार हुआ ;
दुनिया को अब मुट्ठी में करने का भ्रम ही नहीं ,
अधिरथी व चक्रवर्ती सम्राट होने का शुमार भी हुआ ;
अभिमान नहीं तो मान ही सही ,
बुद्धिमत्ता नहीं तो ज्ञान ही सही पर गुमान तो हुआ ;
खुद की किस्मत पर यकीं था पर ,
परिश्रम के वजूद पर एक बार फिर ऐतबार जो हुआ ;
विजय में “”व”” से विश्वास को हमने जो गढ़ा पाया ,
वरदान में सब सफलता को और करीब पाया ;
“”ज”‘ से जागृत भी हुआ आत्ममंथन का दौर जो ,
उम्मीद की जननी में अपने ही वजूद को जो देख पाया ;
“”य”” से युक्ति बनाई कौशल सिद्ध करने की जो ,
यलगार भरी ऐसे कि आधी जंग वैसे ही जीत पाया ;
“” वैसे विश्वास जागृत हो जब युक्ति अपना निश्चय को साधती है तो निश्चित ही विजय की प्राप्ति करती है। “”
विजय रचना वैसे आसान न रहा कभी ,
जीता वही जो “” मिट्टी में मिट्टी होने के हुनर को जिंदा”‘ रख पाया ;
“” विजय किसी यात्रा का हिस्सा भी हो सकता और परिणाम भी “”
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
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अपनों के साथ…
कई युद्ध ऐसे भी होते हैं,,,,
जिसमें हार भी विजय के बराबर होती है।।।
“ये जिंदगी!
तू रोज यू इम्तिहान ना लिया कर।
मैं जीत का सौदागर हूँ,
मैं हार को बेचकर कर
जीत खरीद लिया करता हूँ।”
~ महेश सोनी