Tuesday, March 21, 2023

‘” प्यार की इन्तहा या पागलपन मेरा “

More articles

Extreme Love
” प्यार की इन्तहा “

मैं गुनाहगार हूँ तेरा, जब जब ये एहसास होता है ;
तू सामने न भी हो, तब भी तेरे होने का मुझे आभास होता है।

लाखों मिठाइयाँ चख डाली , पर हर स्वाद उसके आगे बेस्वाद होता है ;
मगर न जाने क्यों तेरी परोसी, हर चीज में ही मिठास होता है।

अंधियारा दूर हो हजारों दीये जला दिये, लगता था इन्हीं से ही घर रोशन होता है ;
कैसा जादू है तेरे कदमों का, पड़ते ही जगमग हुआ घर रोशन और यहाँ अब उल्लास भी होता है।

हजारों मिले हमसे इस खुशफ़हमी में, एक पल उनके साथ बिताना है ;
जो ढूँढने लगे उनकी आँखों में सूरत तेरी, तो हर बार मेरा परिहास होता है।

बदहवास जहर अपनी प्यारा बुझाने भी आया, बेआबरू हो तेरे कूचे से हर बार हर किसी को जाना होता है ;
जो पी तेरी शबे शरबत, तो जीते जी ऐतबार ऐ जन्नत का अहसास भी होता है।

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

6 COMMENTS

guest
6 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

वाह क्या बात है।

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

उसे रास ही ना आया मेरा प्यार वरना…..

मैंने तो उसे जीते जी खुदा बना दिया था ।।।

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Good

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Nice

Latest