Monday, September 25, 2023

Holika Dahan | स्त्री की बलि

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होलिका दहन | स्त्री की बलि
Meaning of Holika Dahan| Holika Dahan| Istri Ki Bali

Holika Dahan | स्त्री की बलि

“” होलिका दहन या पारिवारिक हिंसा की भेंट पर चढ़ी “” स्त्री की बलि “” “”

होलिका दहन
एक मायने में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अन्याय, अत्याचार व क्रूरता के विरुद्ध न्याय, आध्यात्मिक शक्ति व आस्था व ईश्वर के प्रति दृढ़ विश्वास की जीत को दर्शाती है।

दूसरे मायने में घरेलू हिंसा में एक स्त्री का अनैतिक, क्रूर ,अत्याचारी व हिंसक (शासक) तानाशाह के प्रति भात्र प्रेम, समर्पण व सामाजिक (जीवन ) सुरक्षा की भावना पुख्ता करने हेतु अतिआत्मविश्वास, दम्भ व अंधभक्ति में दी गई “” प्राणों की बलि “” का दुखद , दर्दनाक वृत्तांत है।

यह सत्य क्रूर होने के साथ – साथ आधुनिक युग में भी इसकी वास्तविकता को धरातल पर आज भी चरितार्थ होते हुए देखा जा सकता है। यह एक सभ्य, लोकतांत्रिक व शिक्षित समाज के ऊपर एक काला धब्बा है।

आज भी स्त्री के पिछड़ेपन, दयनीय, बर्बरता की स्थिति के साक्ष्य को परलिक्षित करने में सहायक कुछ महत्वपूर्ण बिंदु —

1. अशिक्षा की प्रधानता
2. धर्मान्धता
3. समान अवसरों की यथोचित अनुलब्धता
4. समाज में पुरुषों के आधिपत्य को मौन स्वीकृति
5. स्त्री को यौन उपभोग वस्तु मानने की संकीर्ण सोच का विस्तार
6. सामाजिक व आर्थिक सुरक्षात्मक पहलू में पुरूष के प्रति निर्भरता
7. दाम्पत्य जीवन के निर्वहन में सम्पूर्ण जिम्मेदारी कन्धों पर लादती भावुक व वंशानुगत सोच।

महिलाओं की स्थिति में उभारने व सुधार के लिए कुछ आवश्यक, सहायक साबित होने वाले सम्भावित कदम —

1. स्वावलंबन को प्रेरित करती शिक्षा व्यवस्था में भागीदारी को प्रोत्साहन
2. कानूनी अधिकार में
~ मौलिक जीवन ( गर्भपात या गर्भावस्था सम्बंधित निर्णायक हक़ ) जीने का अधिकार
~ दाम्पत्य जीवन में यौन संबंध पर भी सहमति का अधिकार
3. सामाजिक सुरक्षात्मक वातावरण के निर्माण में लिंग भेद नकार स्त्रियों को भी सम्मान
4. घरेलू हिंसा, बलात्कार की तरह वैवाहिक बलात्कार में दण्डात्मक कार्यवाही का भरोसा
5. दहेज प्रथा के उन्मूलन को व्यवहारिकता में लाना
6. महिला को सामाजिक, राजनैतिक , आर्थिक प्रतिनिधित्व की व्यवहारिक स्वीकृति
7. घरेलू दाम्पत्य जीवन निर्णय व कार्यों में पुरुषों के समान सहभागिता।

आज भी लोकतांत्रिक राष्ट्र में सदियों से हाशिये में रहे इस वर्ग की अनदेखी कर एक आदर्श, सुदृढ़ व सुसंस्कृत समाज के निर्माण की कल्पना बेमानी साबित होगी ।

“” विचार बदलने से ही समाज में परिवर्तन सम्भव है। “”

“” जीवन में साथ निभाना / जीना महिला के लिए मजबूरी या अनिवार्यता या परम्परागत ढांचे के आगे नतमस्तक होना न होकर

प्रेम, कर्त्तव्य व विश्वास के प्रति समर्पित होना ज्यादा सकारात्मक परिणाम / ऊर्जा के संचार में मील का पत्थर साबित होगा। “”

इस लेख का मकसद महिलाओं के यौन उत्पीड़न के साथ मानसिक व भावनात्मक शोषण का वर्तमान परिस्थितियों में वास्तविक स्थिति को नजदीक से परिचय करवाना था। विडम्बना देखिये पढ़े लिखे उच्च वर्ग में आज भी महिलाओं को बख्शा नहीं गया । मध्यम व निम्न वर्ग में शोषण की तो इम्तिहाँ हो जाती है उपर से दलित समाज में इनकी स्थिति कहीं ज्यादा भयावह व बद से बत्तर बनी हुई है।

“”” इस पक्ष के बारे में सोच , चिंतन एवं एक स्वस्थ , तार्किक निर्णय समाज की दशा व दिशा निर्धारित करने में मदद करेगा। “”

अब कहिये होलिका का दहन है या मोह ,अंधविश्वास व रिश्तों के बोझ तले दबी महिला की मानसिकता की चरितार्थ करती “” प्राणों की बलि “”।

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होलिका दहन | स्त्री की बलि

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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Manas Shailja
Member
1 year ago

बहुत ही पीड़ादायी सन्दर्भ जिसे पढ़ना ही खुले मन सोचना भी चाहिए।

Shankar Sahu
Member
1 year ago
मनारी के उत्थान में शिक्षा व समाजिकसबाबलम्बं आवश्यक है।
ONKAR MAL Pareek
Member
1 year ago

नारी उत्पीड़न के बारे में अगर बात करे तब तक तो ठीक है सर ,परन्तु अगर बात होलिका की करेंगे तो इसके मायने बदल जाते है इसका देखने और सोचने का नजरिया बिल्कुल अलग हो जाता है क्योंकि यहां नारी का कोई शोषण नहीं हुआ उल्टा उस नारी ने एक अबोध बालक को जो की वैसे भी भगवान का रूप होता ही है को साजिश का शिकार करने की नाकामयाब कोशिश की थी जो की मेरी नजर में तो जायज नही थी क्योंकि उसे पता था की मैं तो वरदान के कारण इस चद्दर से जलने से बच जाऊंगी । वो अपनी स्वामिभक्ति में ये भी भूल रही थी की वो एक नादान बालक पर जो जुल्म करने जा रही थी वैसा तो कोई मां या एक नारी (चाहे वो किसी भी स्वरूप में हो ) नही कर सकती है । हां मैं ये मानता हूं की नारी उत्थान हेतु अभी तक बहुत प्रयास बाकी है जिस पर हमे मिलकर प्रयास करने होंगे लेकिन महोदय हर घटना को तो हम एक ही नजरिए से नहीं देख सकते है ।

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