“करुणा” | “प्रेम पथ का पहला पायदान”
Meaning of Compassion | Meaning of Empathy | Meaning of Feeling
“करुणा”
“करुणा” संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है दया, सहानुभूति या किसी के कष्टों के प्रति गहरी संवेदनशीलता।
जब हम “करुणा” की बात करते हैं, तो इसका अभिप्राय होता है दूसरों के दुखों और परेशानियों को महसूस करना और उन्हें राहत देने का प्रयास करना।
“करुणा” एक गहरी मानवीय भावना है, जो संवेदनशीलता, दया, सहानुभूति और परोपकार से जुड़ी होती है। करुणा केवल सहानुभूति तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें सक्रिय रूप से मदद करने की भावना भी समाहित रहती है।
प्रेम और करुणा का संबंध यह है कि प्रेम के द्वारा ही हम करुणा की भावना उत्पन्न कर सकते हैं। जब हम किसी से गहरा प्रेम करते हैं, तो हम उसकी पीड़ा महसूस करते हैं और उसे राहत देने का प्रयास करते हैं।
संतों की रचना –
“प्रेम वह नहीं जो आपको सुख दे,
प्रेम वह है जो दूसरों के दुःख को दूर कर दे।”
जलालुद्दीन रूमी ने प्रेम को एक सार्वभौमिक और निःस्वार्थ भावना के रूप में चित्रित किया। उनका कहना था कि प्रेम सिर्फ खुशी देने का साधन नहीं है, बल्कि दूसरों के दुःख को समाप्त करने का माध्यम भी बनता है। यही करुणा का स्वरूप है।
“अगर तुम प्यार में हो, तो तुम्हें दुनिया के हर दुःख का अनुभव होगा,
तुम्हारे दिल में हर कष्ट महसूस होगा।”
जलालुद्दीन रूमी ने करुणा को प्रेम का अभिन्न हिस्सा माना। जब व्यक्ति सच्चे प्रेम में होता है, तो वह दूसरों के दुखों को महसूस करता है और यह भाव करुणा में तब्दील हो जाता है।
“प्रेम वह नहीं है जो तुम्हें किसी के सुख का कारण बने,
प्रेम वह है जो किसी के दुख को दूर करने का प्रयास करे।”
हाफ़िज़ (शम्सुद्दीन हाफ़िज़) ने समझाया कि प्रेम दूसरों के कष्ट को दूर करने और सहानुभूति व्यक्त करने का रूप होता है और यही करुणा की सच्ची परिभाषा है।
“जिन्हें प्रेम नहीं है, वे करुणा को नहीं समझ सकते।
प्रेम के बिना करुणा का कोई अस्तित्व नहीं होता।”
बुल्ले शाह का मानना था कि प्रेम और करुणा एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रेम ही करुणा का मूल है, क्योंकि जब हम प्रेम करते हैं, तो हम दूसरों के दुःख को महसूस करने और उसकी मदद करने के लिए प्रेरित होते हैं।
अन्य महान विचार –
“आपका काम किसी के दुखों को कम करने के लिए होना चाहिए,
प्रेम का कोई और रूप नहीं है।”
महात्मा गांधी के अनुसार, सच्चा प्रेम वही है जो करुणा के रूप में व्यक्त होता है, यानी जो दूसरों के कष्टों में सहायक बनता है।
“जिसे हम प्रेम कहते हैं, वह करुणा का रूप है।
यह दया, क्षमा और समानता की भावना है।”
स्वामी विवेकानंद के अनुसार, प्रेम वह भावना है जो दूसरों के दुखों को महसूस करती है और उनके दुखों का समाधान करने की कोशिश करती है।
“सच्चा प्रेम उस समय दिखता है जब हमें दूसरों के दुःख और परेशानियों में भागीदारी करनी होती है।”
डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के अनुसार, प्रेम की वास्तविकता तभी प्रकट होती है जब हम दूसरों के दुखों में सहायक बनते हैं, और यह करुणा के रूप में व्यक्त होता है।
“सच्ची करुणा वह है जो मनुष्य को प्रेम से जोड़ती है, और प्रेम ही करुणा का सबसे पवित्र रूप है।”
रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा रचना में करुणा का भाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
प्रेम और करुणा का आपस में गहरा संबंध है। प्रेम की अन्यतम और अच्छी अभिव्यक्ति करुणा है। सूफी संतों और महान हस्तियों के विचार इस बात को स्पष्ट करते हैं कि सच्चा प्रेम वही है जो दूसरों के दुखों को महसूस करता है और उनका समाधान करता है। करुणा न केवल हमारे रिश्तों को सुधारती है, बल्कि यह समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देती है।
सारांश में –
“करुणा वह हृदय की भाषा है, जो बिना बोले भी समझी जा सकती है।”
महात्मा बुद्ध ने करुणा को मानवता के सबसे महान गुणों में से एक कहा। करुणा का अर्थ केवल दूसरों के दुखों को महसूस करना नहीं, बल्कि उनके कष्टों को दूर करने का प्रयास करना है।
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“करुणा” | “प्रेम पथ का पहला पायदान”
विचारानुरागी एवं पथ अनुगामी –
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पंथ
शिष्य – डॉ औतार लाल मीणा
विद्यार्थी – शोधार्थी, दर्शनशास्त्र विभाग 【 JNVU, Jodhpur 】
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों को जगत के केंद्र में रखते हुऐ शिक्षा, समानता व स्वावलंबन का प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने का प्रयास।
बेबसाइट- www.realisticthinker.com