Sunday, October 6, 2024

Meaning of Cursed lifestyle | महिला एक अभिशप्त संज्ञा

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महिला एक अभिशप्त संज्ञा | महिला एक अभिशापित जीवन शैली की स्वतः स्वीकृति का उपनाम
Meaning of Cursed lifestyle | Woman is a Cursed Noun | Mahila Ka Matlab Sirf Sunderta Kya

| महिला |

सुंदरता की चाह ने मुझसे न जाने क्या क्या जतन करवाये,
जितने ज्यादा जतन उतना ही ज्यादा मन मेरा हर्षाये ;
अजीब दीवानगी ही कहें या पागलपंथी पर जो नाटक बन पड़े वो सब हमने निभाये,
देख दूसरे को अब भी बैचैनी से मन मेरा बार बार ही खबराये ;

सुंदर दिखने की चाह में भांति भांति के कपड़े भी हमने सिलवाये,
कभी कपड़े के कलर को लेकर तो कभी डिजाइन को लेकर दर दर की ठोंकरें भी हमने जो खाये ;
इतने से भी मन ना भरा जो हमारा गहने भी हमने ढेरों ही लदवाये,
कमी जो रही काजल, क्रीम की तमन्ना में ब्यूटी पार्लर पर भी घण्टों हमने जो बिताये ;

सुंदरता की हसरत लिये महिला एक दोराहे पर खड़ी होकर भी मुस्कुराये,
एक तरफ़ संरक्षण तो दूसरी तरफ स्वच्छंदता की ओढ़नी पहन गुदगुदाये ;
कभी आधुनिकता की रंगत में निर्लज्जता का भोंडा प्रदर्शन भी कर जाये,
हद पार तो तब हो जाती है जब अर्धनग्न होकर घूमने में भी शान शौक़त व तो कभी आज़ाद ख्याल होने का राग अलापने लग जाये।

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महिला एक अभिशप्त संज्ञा | महिला एक अभिशापित जीवन शैली की स्वतः स्वीकृति का उपनाम

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
1 year ago

🙏👌🙏

न हर स्त्री बुरी है, ना हर पुरुष भला है।
सतयुग, त्रेता, द्वापर युग, में भी थे बुरे लोग।।
ये तो कलयुग है, जिसने सबको छला है।।।

Ved Vayas
Member
6 months ago

पति के लिए जूस बनाया और जूस पीने से पहले ही पति की आंख लग गई थी। 
नींद टूटी,तब तक एक घंटा हो चुका था। 
पत्नी को लगा कि इतनी देर से रखा जूस कहीं खराब ना हो गया हो।
उसने पहले जरा सा जूस चखा और जब लगा कि स्वाद बिगड़ा नहीं है, तो पति को दे दिया पीने को।

सवेरे जब बच्चों के लिए टिफिन बनाया तो सब्जी चख कर देखी।
नमक, मसाला ठीक लगा तब खाना पैक कर दिया।
स्कूल से वापस आने पर बेटी को संतरा छील कर दिया। 
एक -एक परत खोल कर चैक करने के बाद कि कहीं कीड़े तो नहीं हैं,खट्टा तो नहीं है,
सब देखभाल कर जब संतुष्टि हुई तो बेटी को एक एक करके संतरे की फाँके खाने के लिए दे दीं।

दही का रायता बनाते वक्त लगा कि कहीं दही खट्टा तो नहीं हुआ और चम्मच से मामूली दही ले कर चख लिया। 
“हां ,ठीक है “, जब यह तसल्ली हुई तब ही दही का रायता बनाया।

सासु माँ ने सुबह खीर खूब मन भर खाई और रात को फिर खाने मांगी तो झट से बहु ने सूंघी और चख ली कि कहीँ गर्मी में दिन भर की बनी खीर खट्टी ना हो गयी हो।

बेटे ने सेंडविच की फरमाईश की तो ककड़ी छील एक टुकड़ा खा कर देखा कि कहीं कड़वी तो नहीं है। ब्रेड को सूंघा और चखा की पुरानी तो नहीं दे दी दुकान वाले ने। संतुष्ट होने के बाद बेटे को गर्मागर्म सेंडविच बनाकर खिलाया।

दूध, दही, सब्जी,फल आदि ऐसी कितनी ही चीजें होती हैं जो हम सभी को परोसने से पहले मामूली-सी चख लेते हैं। 

कभी कभी तो लगता है कि हर मां, हर बीवी, हरेक स्त्री अपने घर वालों के लिए शबरी की तरह ही तो है।
जो जब तक खुद संतुष्ट नहीं हो जाती, किसी को खाने को नही देती। 
और यही कारण तो है कि हमारे घर वाले बेफिक्र होकर इस शबरी के चखे हुए खाने को खाकर स्वस्थ और सुरक्षित महसूस करते हैं।

हमारे भारतीय परिवारों की हर स्त्री शबरी की तरह अपने परिवार का ख्याल रखती है और घर के लोग भी शबरी के इन झूठे बेरों को खा कर ही सुखी, सुरक्षित,स्वस्थ और संतुष्ट रहते हैं।

हर उस महिला को समर्पित जो अपने परिवार के लिये “शबरी”है।🚩👏👏💕

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