दोस्ती में प्यार “” एक इबादत “” | दोस्ती का अर्थ
Meaning of Friendship | Definition of Friendship | Friendship Ki Paribhasha
Love in Friendship “” A Prayer ship “”
दोस्ती में प्यार “” एक इबादत “”
बड़ी ही अजीब सी दुनिया में ,
गजब का शौक हम जो फरमाने लगे ;
दोस्त व पक्के ईमान की तलाश में ,
अजनबी से भी हम वफादारी भी निभाने लगे ;
चढ़ी हुई खुमारी में ,
देखने को तो रोज नये नये बहाने हम जो बनाने लगे ,
देखने भर का सब्र ना रहा जो मन में ,
मिलने का अब तो जुगाड़ भी हम लगाने लगे ;
सुना था दोस्ती की मिशाल में ,
राधा को कृष्ण बहुत ही प्यारे थे लगने लगे ;
राधा जब व्यस्त व मस्त रही बाँसुरी की धुन में ,
कृष्ण भी गोपियों संग रास अब रचना में लगे ;
पवित्रता व सादगी के आँचल में ,
दुनिया को सात्विक प्रेम व सत्य का पाठ वो पढ़ाने में लगे ;
प्यार जो फैला इस तरह फ़िजां में ,
लोग मन्दिर में राधा कृष्ण की प्रतिमा भी लगाने लगे ;
हमने भी वायदे किये दोस्ती को जो निभाने में ,
ईमान की हद को और ज्यादा बढ़ाने में लगे ;
सच मानो तो इस इम्तिहान में ,
न जाने क्यों फिर खुद को पाक साफ दिखाने में भी लगे ;
लोगों की दोगलपंथी दुनिया में ,
अब हम आँखों में कांटों की तरह चुभने जो लगे ,
अजब गज़ब लोगों की इसे गलतफहमी में ,
हमारी हर मुराद को अब वो काली नजर भी लगाने लगे ;
हमारा एक ही मंत्र है जो सबके हित में ,
अब वो सबको हम समझाने में लगे ;
फर्श पर है या फिर कोई अर्श पर हमारे जीवन में ,
बीच में नहीं रखता मैं किसी को ये सब जो हम बताने में लगे ;
प्यार तो फैला है इस आसमां में ,
इश्क़ और वासना में फ़र्क होता है जो हम सबको बताने लगे ;
क्यों रुक्मिणी थीं कृष्ण संग विवाह में ,
बदनाम न हो रिश्ता राधा कृष्ण की दोस्ती का ये सबको बताने में लगे ;
प्यार का अंत खत्म होता है हवस में ,
ये बेसुरी राग भी दुनिया वाले हमें जब सुनाने में लगे ;
ये जहर निकाल व्यस्त हुए हैं हम अमृतवाणी रखवाने में ,
प्यार का अंत तो इबादत से ही शुरू होता है ये पाठ हम अब पढ़ाने में लगे ;
अब दिन की शुरुआत होती है दो शब्दों में ,
हृदय से राधे कृष्ण एक दूजे को संबोधन जो करवाने में लगे ;
“” मैं “” फ़नाह होता है किसी की बन्दगी में ,
वरना इश्क़ इतना सस्ता होता तो हर गली मोहल्ले के चौराहे पर इश्क़ के सरमायेदार नज़र आने जो लगे ;
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दोस्ती में प्यार “” एक इबादत “” | दोस्ती का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।
इश्क पर तो फिदा कर दूं ,
अपनी पूरी जिन्दगी ,,,,,,,,,
पर दोस्ती पर तो मेरा इश्क भी कुर्बान है।।
Nice view’s