वाद की परिभाषा | वाद का अर्थ
Meaning of Ism | Definition of Ism | Meaning of Theory | Vad Ki Paribhasha
“” वाद “”
“” किसी विचार शक्ति का सुनिश्चित लक्ष्य हेतु संवाद ही वाद कहलाता है। “”
“” किसी समूह का सैद्धांतिक मिजाज जब भविष्य फल के संदर्भ तय हो तो वह वाद बनता है।
“”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” व “” से विचारधारा
“” द “” दूरअंदेशी
“” विचारधारा में जहां दूरअंदेशी भी हो तो वह वाद कहलाता है। “”
वैसे “” व “” से विचारशक्ति
“” द “” दूरगामी सन्देश
“‘ विचारशक्ति में जहां दूरगामी सन्देश विद्यमान हों तो वह वाद कहलाता है। “”
मानस की विचारधारा में –
“” समझ का दायरा जब किसी विचारधारा के अंतर्गत केंद्रित हो जाये तो वह वाद कहलाता है। “”
“” जब किसी की सोच को खाने में बांटकर व्यवहार तय होने लगे तो वहां विचार श्रृंखला वाद ही है। “”
“” वाद की अति अंधभक्ति का शिकार बनाती है,
शुरुआत इंसान को खानों में बाँटती है ;
तो अब आप ही तय करें …………..। “””
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वाद की परिभाषा | वाद का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना
🙏👌🙏
किसी व्यक्ति का दूरदर्शिता भरा अंदाज ही एक वाद को जन्म देता है।