Prachalit Dharma / प्रचलित धर्म
“” प्रचलित धर्म एक मानवीय जरूरत “”
या
“” एक मानसिक कमजोरी का विकृत हथियार “”
या फिर
“” एकरूप विचारधारा के साथ संगठित समाज बनाना का सिर्फ एक तरीका “”
★★★ “” प्रचलित धर्म वास्तविकता में एक पँथ ही हैं क्योंकि ये सब आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करते हुए ईश्वर, जन्नत या मोक्ष प्राप्ति की अवधारणा पर बल देते हैं। “” ★★★
“” अपने वजूद पर भरोसा ना करके जब अन्य अदृश्य शक्ति के नियंत्रण, मिलन व उपकार की भावना जब प्रबल होने लगे तो आप पँथ के गिरफ्त में है। “”
★★★ “” प्रचलित धर्म की शुरुआत एक मत विचारधारा के लोगों को संगठित, नियंत्रित व संचालित की अवधारणा को मूल यानि केंद्र में रख कर ही हुई। “” ★★★
“” प्रचलित धर्म / पँथ विचारों को ही नहीं मानवीय अस्तित्व / वजूद को भी अदृश्य कैद में बंदी बनाकर स्वतंत्रता व स्वच्छंदता का अहसास दिलाता है। “”
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
so nice