लेखन या इंसाफ की गुहार | लेखन का अर्थ
Meaning of Writing | Definition of Writing | Writing Ki Paribhasha
| Writing or Pleading for Justice |
| लेखन या इंसाफ की गुहार |
क्या लिखूं ,
जहां पर दाग भी है और दमनकारी भी, फिर मैं किसकी कथा सुनाऊँ ;
मानवीय संवेदना पर जुल्मों की इंतहा से बने, जो क्रूर दागों को दिखलाऊँ ;
या दमनकारी से मिलकर जानी, जो नकारात्मकता की ही सोच बताऊँ ;
कैसे लिखूँ ,
भांड की तरह गुणगान में, उनके ऐश्वर्य के गीत गाऊं ;
या दाग के दर्द को कोरे कागज पर उकेर, इतिहास में ही दर्ज करवाऊँ ;
या फिर सूरत ऐ हाल बयाँ कर, घर घर अलख जगाऊँ ;
क्यों लिखूँ ,
लेखन का अब शौक़ नहीं, मजबूरी है जो यह मानस हमारी ;
मुख्लिसों का दर्द जो बस गया है रगों इस कदर, कराह की चीख को हर रोज मल्लाहार में ही बदल जाऊँ ;
या फिर दर्द को ही बाहर निकाल, अपनी खैरियत पाऊँ ;
अंगुलियों के रास्ते, पत्थर पर कुरेदा जाऊँ ;
या अश्क़ की जगह खून बन , आँखों से कतरा कतरा टपक जाऊँ ;
या लहू को जुबां का हर अल्फाज बना , अब जो बहरे कानों को ही सुनाऊँ ;
या सच पर फ़नाह हो , फ़िजांओं में घुल मिल “” इंसाफ की हर तरफ मशाल ” जलाऊँ ;
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लेखन या इंसाफ की गुहार | लेखन का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।
सुन्दर अभिव्यक्ति