|| गलत ना ही सत्य || Always never wholly false and never wholly true
“” ना ही इस जगत में पूर्णतया ★ गलत ★
ना ही कभी पूर्णतया ★ सत्य ◆ होता है “”
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एक ही बात के बहुत से लोगों के लिए अलग मायने हो सकते हैं । इसमें कोई विचित्र बात नहीं है।
बात विचित्र तब हो जाते है जब वही बात का समय , स्वरूप या स्थान बदल जाता है तो —-
★★ वहीं जिस बात के पहले जो पक्षधर रहे होंगे , वे अब तटस्थ, विरूद्ध और सिरे से खारिज करने वाले भी हो सकते हैं। ★★
—- रूढ़िवादी विचारों के विरुद्ध शिक्षा और नैतिक मूल्यों के प्रचारक व महान दार्शनिक अथेन्स में जन्मे सुकरात को सत्य की खातिर ज़हर का प्याला पीना पड़ा।
—– इसी क्रम में इटली के जन्मे जर्दानो ब्रूनो ने जब पृथ्वी को गोल बताया तो वहाँ के कैथोलिक सम्प्रदाय ने उन्हें मौत की सजा दी।
★★★ आज वही यूरोप आज आधुनिक है और मानवीय मूल्यों के रक्षण में अग्रणी भी,
वहीं भारत गुलामी के दंश को झेलकर भी मानसिकता में रुढ़िवाद व जातिवाद ओढ़ना ओढ़े india भी। ★★★
उपरोक्त कुछ सन्दर्भों से निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
~~ जरूरी नहीं कि हर बार बहुसंख्यक सही हो।
~~ यह भी सकता है कि विद्रोही आवाज रोमांच व ख्याति की चाह से लबालब भरी हो।
★★ किसी भी व्यक्ति / विचार को सही या गलत कहने से पूर्व स्वतंत्र, निष्पक्ष व स्वस्थ मानसिकता के लिये उस परिस्थिति, उद्देश्य व देशकाल को समझना बहुत ही जरूरी होता है। ★★★
Always never wholly false and never wholly true
|| गलत ना ही सत्य ||
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
so nice