मूल्य मीमांसा की परिभाषा | मूल्य मीमांसा का अर्थ
Definition of Axiology | Meaning of Axiology | Mulya Mimansa Ki Paribhasha
| मूल्य मीमांसा |
Axios + Logy
मूल्य 【 Value 】 + विज्ञान 【 Science 】
|| Value of Science ||
“‘ “” मूल्य का विज्ञान क्या है “” के सिद्धांत की विवेचना को ही मूल्य मीमांसा कहते हैं। “‘
“” मानवीय जीवन मूल्यों के मानदंड या आधार की सतत खोज करना ही मूल्य मीमांसा कहलाती है। “”
“” अच्छा | बुरा, गुण | दोष, न्याय | जुर्म जैसी सभी अवधारणाओं या सिद्धान्तों के परख की मानवीय नैतिकता के अनुरूप विवेचना करना मूल्य मीमांसा कहलाती है। “”
“” मूल्य मीमांसा दर्शनशास्त्र की महत्वपूर्ण शाखा है जिसमें
मूल्य क्या है और इसका स्वरूप क्या है,
सही क्या है और गलत क्या है,
उचित | अनुचित, नैतिक | अनैतिक , शुभ | अशुभ, वांछनीय | अवांछनीय क्या है,
स्वीकार करने योग्य क्या है,
प्राणित्व के जीवन का मूल उद्देश्य क्या है,
संसार में मूल उद्देश्य की प्राप्ति का वास्तविक आधार क्या है,
इत्यादि प्रश्नों के उत्तर खोजे जाते हैं। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” म “” से मर्यादित आचरण
“” ल् “” से लक्ष्य
“” य “” से यथार्थ स्वरूप
“” म “‘ से महत्वाकांक्षारत
“” म “” से मौलिकता का संरक्षण
“” न् “” से नवीनतम विधि
“” स “” से समायोजित आंकलन
“” मर्यादित आचरण लक्ष्य के साथ यथार्थ स्वरूप में महत्वाकांक्षारत होकर मौलिकता का संरक्षण करते हुये नवीनतम विधि से समायोजित आंकलन करना ही मूल्य मीमांसा है। “”
वैसे “” म “” से मानवीय नैसर्गिक गुण
“” ल् “” से लक्षितार्थ लक्षण
“” य “” से योग्यता
“” म “‘ से मर्म
“” म “” से मर्यादित
“” न् “” से न्यायिक
“” स “” से सर्वेक्षण, संश्लेषण व विश्लेषण
“” मानवीय नैसर्गिक गुण व लक्षितार्थ लक्षण की योग्यता में मर्म विषयवस्तु का रखते हुए मर्यादित व न्यायिक 【 तर्कयुक्त 】 सर्वेक्षण, संश्लेषण व विश्लेषण करना ही मूल्य मीमांसा है। “”
मानस के अंदाज में –
“” मूल्य क्या है व इसके सही व गलत की वांछनीयता की आलोचनात्मक व्याख्या ही मूल्य मीमांसा कहलाती है। “”
“” मानवीय जीवन का अंतिम उद्देश्य क्या हैं और स्वीकार्यता या अस्वीकार्यता का विस्तृत अध्ययन ही मूल्य मीमांसा है। “”
“” मूल्य मीमांसा प्रकृति में मानवीय आचरण की आलोचनात्मक व तार्किक चर्चा करती है। “”
These valuable views on Definition of Axiology | Meaning of Axiology | Mulya Mimansa Ki Paribhasha
मूल्य मीमांसा की परिभाषा | मूल्य मीमांसा का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
सटीक व्याख्या 🙏👌🙏
जिन्होंने अपने सिद्धांतों और मूल्यों में बने रहकर सफलता प्राप्त की वही इस दुनिया में जाने गए हैं।।
बाकी सब नश्वर है….
हमारे किसी मित्र या परिजन से जरा सी कोई भूल या त्रुटि हो जाए, तो हम उसे नीचा दिखाने के लिए क्षण भर भी देरी नहीं करते और तुरंत हम रील/स्टेटस चढ़ा देते हैं। फलस्वरूप उसके मन में द्वेष भावना उत्पन्न हो जाती है। तत्पश्चात वह भी इस कार्य को उसी क्रम में आगे बढ़ाता है। परंतु यह किसी समस्या का समाधान नहीं है। इसका बस एक ही हल है, बजाय उसका नीचा दिखाने के उसकी प्रशंसा कीजिए। उसका मान सम्मान कीर्ति बढ़ाइये, उसे अच्छे कार्यो के लिए प्रोत्साहित कीजिए। फिर देखिए क्या चमत्कार होता है।
पर सुख देख मनवा ,क्यूं थोड़ा -सा सकुचाया
सुंदर खिलौने पर हाथ में देख, क्यूं मन में रोना आया
मैं भी इनका अधिकारी बनूं, लालसा से मन भर आया
संग में खेलने गए विद्यालय, दोस्तों से ही जीवन में रस आया
देखें सुख -साधन अपने मित्र के, क्यूं मन इधर-उधर लटपटाया ।
लालसा बनी कब ईर्ष्या मेरी, आयु संग समझ ना पाया ।
निरंतर सोचना क्या कमी है मुझमें ?, पर संतोषी कभी ना बन पाया ।
सौंदर्य ईर्ष्या सुख साधन ईर्ष्या, विचारों से भी उठ ना पाया ।
दिग्भ्रमित कम आत्मविश्वासी मन ने , मैंने अपने स्तर को नीचा पाया ।
उम्र बढ़ी और समय भी बदला, तब विचार भी बदले ।
लालसा से ईर्ष्या बढ़ी और ईर्ष्या में क्या रूप धरा?घृणा, जलन ,सशंकित के जल उठे अंगारे भी
मन की छोटी सी लालसा ने, द्वेष के बीज बो दिए सारे
आहुति में भी मैं जला, हवन में स्वाहा भी हुआ जीवन मेरा जीवन के परिणति कुछ और ही होती,
काश!! बदला होता मैंने, भाव से भरा स्वभाव मेरा |
– प्रोफेसर सरला जांगिड़