मोह की परिभाषा | मोह का अर्थ
Definition of Enchantment | Meaning of Endearment | Moh Ki Paribhasha
“” मोह “”
“” आँख मूंदकर ऐतबार का प्रदर्शन जिसके अंतर्गत होता है वह मोह है। “”
“” रिश्तों में वास्तविकता से मुँह फेरकर पक्षपात की चरमसीमा मोह है। “‘
वैसे “” म “” से मर्यादा जहां बन्धन मुक्त हो जाये,
वहाँ पक्षपात तो फिर बेलिहाज होता है ;
“” ह “‘ से हाजिरजवाब जहां बनने में गुमान होने लगे,
वहाँ चाटूकारिता ही नहीं अनैतिकता का भी बोलबाला रहता है ;
वैसे “” मर्यादा जब हाजिरजवाब बनने की खुमारी इख्तियार करने लगे तो वह मोह कहलाता है। ‘”
वैसे “” म “” से मार्मिकता के वशीभूत जहां बन्धन का निर्माण होता है,
वहाँ बेपनाह व बेपरवाह लगाव बना रहता है ;
“” ओ “‘ से ओट जहां लेना कार्यव्यवहार में होने लगे,
वहाँ हर फ़न का बोलबाला बना रहता है ;
“‘” ह “” से हक़परस्ती जहां जीवन में छाने लगे,
वहाँ बेईमानी व लालच का आना भी स्वभाविक है ;
वैसे “” मार्मिकता के वशीभूत या ओट में हक़परस्ती को प्रेरित करने वाला मोह ही तो है। ‘”
“” एक पक्ष के सर्वांगीण हितों के अंतर्गत व्यवहार की परिणीति ही मोह है। “”
“” किसी के प्रति अपने सर्वस्व न्योछावर करने की जिद ही मोह है। “”
“” मोह रिश्तों का नवनिर्माण तो करता है परंतु अधिकता उसके लिए अहितकर तो कभी सर्वनाश का मार्ग प्रशस्त करती है। “”
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मोह की परिभाषा | मोह का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना
बहुत खूब
बहुत खूब 👌👌👌
मोह माया की दुनिया में,
उलझे पड़े हैं सब लोग ,
पर…..
यहां क्या साथ लेकर आए थे,
और क्या साथ लेकर जाएंगे।।।