Tuesday, September 30, 2025

Definition of Heart Pain | दिल का मर्म या पीड़ा का दंश

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दिल का मर्म | पीड़ा का दंश
Definition of Heart Pain | Meaning of Heart Pain | Dil Ka Marm

“” दिल का मर्म या पीड़ा का दंश “”

जुल्मों सितम की इंतहा हो तो,
बाजुओं को खोलना ही पड़ता है ;

जब बढ़ जाये मर्ज़ ऐ दुश्वारी तो,
उसका इलाज खोजना ही पड़ता है ;

जब देना हो जुबान ऐ तरज़ीहत तो,
हर बात कहने से पहले उसे कांटे पर तोलना ही पड़ता है ;

मुख्लिस, मुजलूमों के हक़ की हो बात तो,
हुक्मरानों के समक्ष बेखौफ होकर बोलना भी पड़ता है ;

आंच न आ जाये असूलों पर अपने तो,
किसी विचार या वस्तु तो कभी हमराज को भी छोड़ना ही पड़ता है ;

बन न जाये घाव के फाले दर्द ऐ नासूर तो,
उनको वक़्त रहते ही फोड़ना भी पड़ता है ;

जब तक बन जाये अपनों की किस्मत तो,
मेहनत की भट्टी में खुद को झोंकना ही पड़ता है ;

जब कभी हो धुँधले या मृगतृष्णा बने मंजिल के रास्ते,
तो बीच रास्ते में वापसी लौटना भी समझदारी जान पड़ता है ;

फैल ना पाये मवालियों की दहशत इस जहाँ में,
कभी कभी भौकाल करना तो कभी दबंग बनना ही पड़ता है ;

जब पड़ न जाये संकट में ही मानवता हमारी,
तो सेवाकर्मियों द्वारा रक्षा हेतु नींद बीच मे ही छोड़ दौड़ना भी पड़ता है ;

रहें हिफाज़त में सरहदें हमारी तो,
जांबाज द्वारा दुश्मन की गोली को अमन की खातिर सीने पर झेलना ही पड़ता है;

भाईचारे में जब दिल रख दिया जाये उसके कदमों में तो,
शर्मसार न कर दे वो रिश्तों को इसीलिए न चाहते हुए भी आंखों को कभी कभी फेरना ही पड़ता है।

“” प्रेमपूर्वक समर्पण लेने या देने में भाव अंतर्मन से स्वीकार्यता अत्यंत आवश्यक है। “”

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दिल का मर्म | पीड़ा का दंश

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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