Saturday, July 27, 2024

Definition of Holi | होली का अर्थ

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होली की परिभाषा | होली का अर्थ
Definition of Holi | HOLI MEANING IN LIFE | Holi Ka Arth

“” होली “”

“” रोष का भी प्रेम व उदारतापूर्वक अभिव्यक्ति की प्रतीक है होली “”

“” HOLI “”

“” H “” to “” Humbleness “”
“” विनम्रता “”

“” O “” to “” Obligation “”
“” कृतज्ञता “”

“” L “” to “” Love “‘
“” प्यार “”

“” I “” to Impression of Color
“” रंगों की छाप “”

“‘ वैसे विनम्रता, कृतज्ञता व प्यार के साथ रंगों की छाप जहां हो , वहाँ होली ही है “”

“‘” रिश्तों में नवसंचार और हृदय में प्रेम स्फुट का कारक है होली “”

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होली की परिभाषा | होली का अर्थ

Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
Follower – Manas Panth
Purpose – To discharge its role in the promotion of education, equality and self-reliance in social.

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Mahender lathar
Mahender lathar
2 years ago

Wow very nice

Shashi singh
Shashi singh
2 years ago

Happy holi

ONKAR MAL Pareek
Member
2 years ago

बिल्कुल सही व्याख्या । आप सब को मेरी तरफ से होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

Manas Shailja
Member
2 years ago

बहुत सुंदर चित्रण के साथ व्याख्या

Garima Singh
Member
2 years ago

अलग अलग रंगों के गुलाल मचाएं धमाल

होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको और आपके परिवार को |

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
2 years ago

होली के रंगों के समान ही बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति

शुभकामनाएं।

Devender
Devender
2 years ago

Nice 👍

Mohan Lal
Member
2 years ago
बहुत ही अच्छी बात गुरु जी आज के दिन तो दुश्मन भी गले लग जाते है
Juneja juneja
Sandeep juneja
2 years ago

होली की शुभ कामना

Sarla Jangir
सरला जांगिड़
1 year ago

जैसा कि हम जानते हैं कि होली क्यों मनाते हैं? राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने ब्रह्मा को अपने तप से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया | कोई भी वरदान या आशीर्वाद तभी तक फलदाई होता है ,जब तक हम उससे किसी का अहित ना करें या उस आशीर्वाद के नशे में चूर होकर अपने आपको सर्वेसर्वा ना मान ले | दोनों ही अवस्थाओं का प्रतिफल कल्याणकारी नहीं होता है | कुछ ऐसा ही होलिका ने किया, वह अपने आशीर्वाद के नशे में चूर थी और प्रह्लाद का अहित भी चाहती थी | शाश्वत सत्य यह है कि बुराई कभी भी अच्छाई का अहित नहीं कर सकती | यहाँ  बुराई का अर्थ नकारात्मक शक्तियां और अच्छाई सकारात्मक शक्तियां हैं | होली के दिन भी होलिका प्रह्लाद को लेकर जब अग्नि में प्रवेश करती है, तो प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आता है| होलिका जल जाती है | प्रह्लाद की भक्ति की पराकाष्ठा और पिता हिरण्यकश्यप के अत्याचारों की अंतिम परिणति के फलस्वरुप भगवान विष्णु को अपना चौथा अवतार नरसिंह रूप धारण करना पड़ता है | भगवान विष्णु ने असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म के विजय की स्थापना की । आज कुछ और तरीके से इस प्रसंग को जानेंगे । प्रह्लाद अपने आराध्य के प्रति पूर्ण दृढ़ विश्वासी था, कि विष्णु उसके सहायक हैं। जगत के पिता हैं और वही सब के पालनहार हैं उसके विचारों और भावों में संशय नहीं था । तो भगवान विष्णु को उसके लिए आना ही पड़ा । यह बात प्रह्लाद तक सीमित नहीं है यह हम सब पर लागू होती है ,अगर हम अपने कर्मों और लक्ष्य के प्रति शत-प्रतिशत विश्वासी और दृढ़ प्रतिज्ञ है ,तो हम उस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेंगे । उसके लिए हमारा विश्वास और कर्म एक ही दिशा में होने चाहिए । सफलता निश्चित है।
 यही है पौराणिक होली का आधुनिक दर्शन ।-प्रोफेसर सरला जांगिड़

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