पश्चाताप की परिभाषा | पश्चाताप क्या है
Definition of Remorse | Meaning of Contrition | Pashchatap Ki Paribhasha
“” पश्चाताप “”
“” अनुचित एवं अवांछित क्रिया की स्वतः स्वीकार्यता व उसे येनकेन सुधारने की जद्दोजहद पश्चाताप है। “”
“” आत्मग्लानि में गलती सुधारने की स्वतः दण्ड प्रक्रिया ही पश्चाताप है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” प “” से पूर्व
“” श् “” से शत प्रतिशत
“” च “” से चिन्ह
“” त “” से तपिश
“” प “” से पुरजोर कोशिश
“” पूर्व शत प्रतिशत चिन्ह जो तपिश की पुरजोर कोशिश दर्शाये वे पश्चाताप ही कहलाते हैं। “”
वैसे “” पश्च “” से पूर्ववर्ती
“” आतप “” से गर्मी
“” पूर्ववर्ती गर्मी जो सुधरने का आत्मबोध करवाये वे पश्चाताप कहलाते हैं। “”
वैसे “” पश्च “” से पहले
“” ताप “” से आँच
“” पहले की आँच जो कुंदन की तरफ अग्रसर करे वे भी पश्चाताप कहलाते हैं। “”
मानस की विचारधारा में –
“” गलतियों से सबक और निर्मल बनने की कवायद में चिंतन पूर्ण संघर्ष पश्चाताप कहलाते हैं। “‘
“” अपराधबोध जो सुधरने की कवायद करवाये वे पश्चाताप कहलाते हैं। “”
—- “” पश्चाताप वो अग्नि है जिसमें से क्रूर हत्यारे भी निकलकर साधु बन जाते हैं। “” उदाहरण – अंगुलिमाल, महर्षि बाल्मीकि —-
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पश्चाताप की परिभाषा | पश्चाताप क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
पश्चाताप में मन स्वच्छ और निर्मल रहता है । यह पश्चाताप की उत्तम परिभाषा है।
सुन्दर व्याख्या 👌👌
सोच समझ कर बोलो,
अन्यथा
गलती को सुधारने के लिए
पश्चाताप तो करना ही होगा।।
बहुत बढ़िया व्याख्या