“” पंथ निरपेक्षता की परिभाषा “” या “” पंथ निरपेक्षता का अर्थ “”
“” Definition of Secularism “” Or “” Meaning of Atheism “”
— x —– पंथ निरपेक्षता —– x —
– “” पंथ “” –
“” ईश्वर प्राप्ति हेतु दर्शाया गया आध्यात्मिक मार्ग* 【 जिसमें एक व्यक्ति, एक पूजा पद्धति, एक विशेष पूज्यस्थल और एक ही जीवन निर्वहन शैली शामिल हो। 】 ही पंथ कहलाता है।
– निरपेक्षता –
“” बिना किसी का पक्ष लेते हुए आचरण करना। “”
– पंथ निरपेक्षता –
“” पंथ को तटस्थ मानते हुए पक्षविहीन आचरण यानि शासन करना ही पंथ निरपेक्षता कहलाती है। “”
— x — कटु सत्य — x —
“” पंथनिरपेक्षता को ही अज्ञानवश धर्मनिरपेक्षता कहा जाने लगा है।
जहाँ साधारण शब्दों में मानवीय मूल्य, अंतर्निहित गुण या संस्कार ही धर्म का परिचायक है। जिसे आदि काल से सनातन धर्म या सनातन संस्कृति भी कहते हैं। “”
★★★ व्यवहारिकता में अपने अध्यात्म मार्ग पर अग्रसर होने पर किसी अन्य पंथ के बारे में उचित आचरण रखना यानि सम्मान करना ही “” सेक्युलरिज्म “” है।
पर आज “” पंथनिरपेक्षता यानि सेक्युलरिज्म “” का मतलब सिर्फ अन्य समुदायों के साथ खाना खाने और उनकी नैतिक/ अनैतिक कार्यों में सहभागिता निभाने भर की रह गई है। ★★★
◆ यह संकीर्ण [ तुच्छ ] सोच ही स्वस्थ समाज के लिए हानिकारक व अत्यंत पीड़ादायक भी। ◆
“” मूल कविता के शब्द बदलकर कहूँगा “” —
हो गई है पीड़ इतनी
अब बस पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से भी फिर कोई गंगा निकलनी चाहिए;
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश बस इतनी सी कि ये सूरत बदलनी चाहिए;
तेरे सीने में नहीं तो मेरे सीने में ही सही,
हो कहीं भी प्यार तो ये प्यार मानवीय प्रेम बनकर बरसना चाहिए।।
“” भाई चारे में सम्मान के साथ विश्वास, प्रेम व समर्पण से बड़ा कोई रिश्ता नहीं। “”
“” मानवीय मूल्यों के आत्मसात, अनुसरण से बड़ा कोई धर्म नहीं “”
आम धारणाओं व मिथकों को तोड़ते हुए निडरतापूर्वक तार्किक व्याख्या,
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
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