आत्मचिंतन की परिभाषा | आत्मचिंतन का अर्थ
Definition of Self-analysis | Meaning of Self-examination | Atmachintan Ki Paribhasha
“” आत्मचिंतन “”
“” अपने आप 【गुण एवं दोष】से परिचित होना ही आत्मचिंतन कहलाता है। “”
“” अपने आप को तलाशने व तराशने की जद्दोजहद ही आत्मचिंतन कहलाती है। “”
“‘ वास्तविकता के धरातल पर अपने स्वयं को रखकर आंकलन करने की कवायद ही आत्मचिंतन है। “”
“”अपने ही निर्णयों के तार्किक विश्लेषण में स्वंय से जवाब तलब की खुमारी ही आत्मचिंतन कहलाती है। “”
वैसे “” अ “” से अपने आप को जहां सवालों के उत्तर देने की प्रवृत्ति में शामिल किया हो,
वहाँ विचारों के स्पष्टीकरण देने की जरूरत न के बराबर होती है। “”
“” त् “” से त्याग जहां की परम्परा में शामिल हो जाये,
वहाँ दूसरे की भावनाओं व हितों का सरंक्षण प्राथमिकी में दर्ज होता है;
“” म “‘ से मार्मिक जहां होना सभ्यता की भावनाओं में शामिल हो,
वहाँ दूसरे का दुःख दर्द अपने में ही महसूस होने लगता है;
“‘ वैसे अपने आप को जहां त्याग कर मार्मिक बनाने का जनून हो,
वहाँ एक कदम और आगे विश्लेषण के पथ पर अग्रसर होना ही आत्मचिंतन कहलाता है। “‘
“” आत्मचिंतन जीवन को निहारने व निखारने की एक सर्वश्रेष्ठ कला है। “”
जिसे हर प्राणी को जीवन में उपयोग में लाना चाहिए।
आत्मचिंतन वैसे स्वस्थ मानसिकता व लक्ष्यों की पूर्ति में अचूक उपाय साबित हुआ है।
यह मानव मात्र के लिए जरूरी भी है और ‘” मानस “” की आंतरिक शक्ति भी।
Definition of Self-analysis | Meaning of Self-examination | Atmachintan Ki Paribhasha
आत्मचिंतन की परिभाषा | आत्मचिंतन का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
आत्मचिंतन रखा करो,
वरना …
यूं ही दूसरों के चिंतन में,
अपना आत्मत्व खो दोगे ।।