“” स्वार्थ की परिभाषा ”” या “‘ स्वार्थ क्या है “”
“” Definition of Self-Interest “” Or “” Meaning of Selfishness “”
“” स्वार्थ “”
सन्धि विच्छेद
स्व + अर्थ
“” व्यवहार शैली में सिर्फ स्व के अर्थ होने की स्वीकार्यता ही स्वार्थ कहलाता है। “”
“” निष्पक्षता को निर्मूल करते हुए स्वहित की साध्यता की होड़ ही स्वार्थ को जन्म देती है। ””
“” क्रियाकलापों में दूसरे के हित को दरकिनार करना भी स्वार्थ कहलाता है। “”
“” जीवन पद्धति में श्रेष्ठ को साधने में अपनाई गई थोड़ी सी अनैतिकता ही स्वार्थ है। “”
वैसे “” स् “” से सन्देहास्पद जहां कार्यवाही का हिस्सा बने ,
वहाँ निष्पक्षता की कल्पना करना ही बेमानी है ;
“” व “” से वजूद जहां दाव पर लगाया गया ,
परिणाम हमेशा ही चोंकाने वाले ही रहते हैं ;
“” र “” से रंगत जहां बेहतर करने की वजह से हो,
वहाँ हर कार्य बहुत ही सलीके से किया जाता है ;
“” थ “” से थिरकना जहां इतराने को जताने लगे,
वहाँ हवा की उड़ान वास्तविकता से दूर करती है ;
“” वैसे सन्देहास्पद वजूद जब रंगत में थिरकने लगे तो वहां वह स्वार्थ है। “”
वैसे “” स् “” से संकीर्ण मानसिकता जहां जीवन प्रणाली से परिलक्षित होने लगे ,
वहाँ ऊँचे मुकाम हासिल करना बहुत दूर की कौड़ी बन जाता है ;
“” व “” से वसूली जहां बस आदत में शुमार हो,
परिणामस्वरूप मानवीय मूल्यों का पतन होना तय है ;
“” र “” से रणनीति जहां बेहतर की बजाय येनकेन तक सीमित हो,
वहाँ हर कार्य का बहुत ही निचले स्तर पर जाना तय है ;
“” थ “” से थोपना जहां आदतन शुमार हो,
वहाँ अपनी गलती की स्वीकृति कभी संभव हो ही नहीं सकती है ;
“” वैसे संकीर्ण मानसिकता वसूली की रणनीति जब व्यवहार में थोपी जाये तो वहां स्वार्थ होता है। “”
“” थोड़ा स्वार्थ आदमी को कार्यव्यवहार में सजग बनाता है परन्तु स्वार्थी होना तो निसन्देह मानवीय संवेदनाओं की हत्या करने जैसा “”
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना
अतिसुन्दर ……
सुना था कभी किसी से
कि ये दुनिया मोहब्बत से चलती है,
करीब से जाना तो समझे
यह स्वार्थ की दुनिया है,
बस जरूरत से चलती है।।
विस्तृत एवं स्टीक भावार्थ