असन्तोष की परिभाषा | असन्तोष का अर्थ
Definition of Unsatisfied | Meaning of Grudge | Asantosh Ki Paribhasha
“” असन्तोष “”
“” किसी विचार की पूर्णता में भी असहजता का अहसास ही असन्तोष है। “”
“” व्यवहारिक क्रियाकलापों में सघनता की बजाय सन्देहास्पद स्थिति बने रहना असन्तोष कहलाता है। “”
“” सन्तुष्टि के अभाव रहित कार्यशैली के प्रति शिकायती आशंका ही असन्तोष कहलाता है। “”
वैसे “” अ “” से अस्वीकार्य जहां कार्य व्यवहार में आ जाये,
वहाँ वस्तु या विचार के साथ समझौता मूर्खतापूर्ण व्यवहार है;
“” स “” से संज्ञान जहां कार्य प्रकृति के विरुद्ध हो,
वहाँ विश्वसनीय कार्य संचालन निष्पादित होना मुश्किल हो जाता है;
“” न् “” से न्याय जहां मूलतः सिद्धान्त से बाहर निकल जाये,
वहाँ नीरसता के साथ खण्ड खण्ड बंटना भी स्वभाविक प्रक्रिया है;
“” त “” से तन्मयता जहां विलुप्त होने लगे तो,
वहाँ उत्साहवर्धक परिणाम आना दूर की कौड़ी नजर आता है;
“” ष “” से षड्यंत्र जहां मानवीय मूल्यों में सेंध करने लगे,
वहां समाजिकता समरसता का पतन होना प्रारम्भिक प्रक्रिया है ;
“” वैसे अस्वीकार्य संज्ञान जहां न्याय की तन्मयता के प्रति षडयंत्र रच दे तो,
वहाँ इस प्रवृत्ति से जन्मी व्याकुलता ही असन्तोष है। “”
असन्तोष परिवारिक, सामाजिक सुदृढ़ व स्वस्थ ढांचे को तार तार कर बिखेर सकती है।
अतः इस स्थिति से सदैव बचना चाहिए क्योंकि ये सामाजिक दंश भी बन सकता है ।
अतः “” मानस “” की इससे बचने की सलाह भी।
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असन्तोष की परिभाषा | असन्तोष का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना