पुण्य की परिभाषा | पुण्य क्या है
Definition of Virtue | Meaning of Goodness | Puny ki Paribhasha
“” पुण्य “”
“” संस्कार युक्त आचरण का परिणाम ही पुण्य कहलाता है। “”
“” अच्छे कर्म हेतु संघर्ष जो वरदान के रूप में प्राप्त भी हो तो पुण्य कहलाता है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” प “” से पारमार्थिक
“” ण् “” से नींव
“” य “” से यथोचित फल
“” पारमार्थिक की नींव पर यथोचित फल की प्राप्ति होना ही पुण्य कहलाता है। “”
वैसे “” प “” से प्रारब्ध
“” ण् “” से न्यायोचित कर्म
“” य “” से यश फल
“” प्रारब्ध व न्यायोचित कर्म से अर्जित हुआ यश फल ही पुण्य कहलाता है। “”
मानस की विचारधारा में –
“” देव कृपा के रूप में मिलने वाले आशीर्वाद जो आपके शुभ कर्म थे वो आज पुण्य कहलाते हैं। “‘
“‘ सच्ची श्रद्धा व समर्पण के बदले मिलने वाले आशीर्वाद भी तो पुण्य कहलाते हैं। “”
“” भूतकाल में किये गये उपकार आज वर्तमान में ईश्वरीय कृपा में आपके पुण्य कहलाते हैं। “”
—- “” पुण्य हेतु किये गये कर्म सदैव मानवीय मूल्यों पर खरे उतरते हैं। “” —-
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पुण्य की परिभाषा | पुण्य क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
सुन्दर व्याख्या 🙏👌🙏
सद्कर्म द्वारा पुरुषार्थ की प्राप्ति ही पुण्य फल है।