यन्त्र की परिभाषा | यन्त्र का अर्थ
Meaning of Yantra | Definition of Yantra | Yantra Ki Paribhasha
| यन्त्र की परिभाषा या भावार्थ |
“” डराने, यातना, मृत्युदंड या विध्वंस के उद्देश्य को साधने हेतु ऊर्जा का अन्य स्रोत/ तकनीकी विधि से प्रयोग का माध्यम ही यंत्र है “”
“” मानसिक व शरीरिक पीड़ा पहुंचाने में किसी निर्जीव/ सजीव को हथियार बनाने की योजनाबद्ध शैली का अमुक औजार ही यंत्र है। “”
वैसे “” य “” से योजनाबद्ध जहां कार्य पद्धति की प्राथमिकता बन जाये,
वहाँ कार्यकुशलता व सजगता के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ना लाजमी हो जाता है ;
“” न् “” से न्यौछावर जहां परम्परा में शुमार होने लगे,
वहाँ लक्ष्य के प्रति समर्पण व निष्ठा देखने लायक होती है;
“” त्र “” से त्रिशूल जहां जीवन पथ से भटकाने लगे,
वहाँ 【त्रिशंकु】 जुनून भी कई सन्दर्भो में मशाल के समान प्रतीत होने लगता है ;
यानि योजनाबद्ध न्यौछावर जहां लक्ष्य के प्रति समर्पित हो तो,
वहाँ त्रिशूल 【 दैहिक, दैविक व भौतिक दुःख 】को मिटाने के लिए समस्त ऊर्जा का अन्य माध्यम द्वारा प्रयोजन को सिद्ध करने की कला ही यंत्र है।
मानस विचारधारा में “” यंत्र “”
“” यथार्थ, तकनीक व तर्कशास्त्र पर आधारित कार्ययोजना द्वारा ध्येय 【त्रिशूल (मानसिक, शरीरिक व भौतिक कष्ट) 】 को साधने में आत्मशक्ति , विश्वास का सफलतापूर्वक प्रदर्शन की कला / औजार ही यंत्र है। “”
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यन्त्र की परिभाषा | यन्त्र का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – समाज में ऊंच नीच , जाति पांति लिंगात्मक भेदभाव का विरोध करते हुए मानस पंथ की समानता की विचारधारा को परिलक्षित करना।
जीवन में यंत्र की अपनी भूमिका है । ये मनुष्य को सभ्य शालीन और अनुशासित बनाए रखने के लिए जरूरी भी है ।
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