शून्य की परिभाषा | शून्य क्या है
Definition of Zero | Meaning of Nothing | Shuny Ki Paribhasha
“” शून्य “”
“” वस्तु तत्व वह ठहराव बिंदु जहां से नवसृजन का मार्ग प्रशस्त होता है वह शून्य है। “”
“” वह उद्गम स्थल जहां से जीवन का नवसंचार हो वह शून्य कहलाता है। “”
“” प्राणित्व के नवनिर्माण का प्रादुर्भाव जहाँ से होना तय हो वह शून्य ही है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” श “” से शुरुआती
“” न् “” से निर्विवाद
“” य “” से धारणा
“” शुरूआती निर्विवादित धारणा ही शून्य है। “”
वैसे “” श “” से शिरोधार्य
“” न् “” से निर्मोही
“” य “” से धर्मपरायणता
“” शिरोधार्य निर्मोही धर्मपरायणता ही शून्य का आगाज़ करती है। “”
मानस की विचारधारा में –
“” जड़ विचारों को उखाड़ फेंकना ही शून्य का द्योतक है। “”
“” जहां पर पूर्वाग्रहों का त्याग होता है वह घड़ी या काल ही शून्य है। “‘
—- “” जहां फिर खुलेमन से समग्र विचारों को आमंत्रित कर नवयुग की शुरुआत के लिए हो वह केंद्र बिंदु शून्य कहलाता है। “” —-
“” शून्य जितना कहने व सोचने में सरल है उतना ही चरितार्थ में मुश्किल भी “”
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शून्य की परिभाषा | शून्य क्या है
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
सुन्दर व्याख्या 🙏👌🙏
शून्य वास्तव में zero ना होकर,
वह है …..
जो किसी अपने के साथ खङा होकर,
उसकी कीमत और मान दस गुना बढा देता है।