मजबूरी की परिभाषा | गांधी मजबूरी नहीं सहनशीलता का दूसरा नाम
Mahatma Gandhi | Definition of Compulsion | Majboori Ki Paribhasha
“” गांधी मजबूरी नहीं सहनशीलता का दूसरा नाम “”
ज़नाब जन्म लेने से कोई महान थोड़ी ही ना बनता है,
उसे हर बार कर्मों से सिद्ध करना पड़ता है ;
कभी शोषण के विरुद्ध खड़े होकर जान दाव पर लगानी होती है,
तो कभी जीवन के तारणहार से भी दो चार होना पड़ता है ;
बातों के जादूगर तो हर पेट से निकलते हैं ,
पर बातों में जादू कर्मों की बाजीगरी से ही सम्भव होता है ;
ज़ुल्मी के सामने चुप रहना हर वक्त समझदारी नहीं कहलाती है ज़नाब ,
इसे कभी निर्लज्जता का ओढ़ना और तो कभी भीरुओं की अहिंसा दुनिया कह के पुकारती है ;
प्रेम, अपरिग्रह , हृदय की पवित्रता व उपवास अहिंसा के सर्वोत्तम स्वरूप हैं,
न्याय व सत्य के विरुद्ध सशस्त्र बल का प्रयोग भी अहिंसा है ;
जिसने देखा, समझा और कहा ईश्वर ही सत्य है,
अजब गजब संघर्षों ने उसे सिखला ही दिया कि सत्य ही ईश्वर है ;
सत्याग्रह का मतलब क्रूर, हिंसक व तानाशाह को घुटनों पर लाना होता है,
बेशर्ते आपका सत्य व अहिंसा पर अड़िग विश्वास होना भी जरूरी होता है ;
गांधी का मतलब मजबूरी को दर्शाना या उसके समक्ष नतमस्तक होना नहीं होता है,
अपितु सत्य के लिए सब कुछ खोकर भी अग्रिम पंक्ति में निहत्था खड़ा होना उसे “” गांधी “” कहलवाता है।
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मजबूरी की परिभाषा | गांधी मजबूरी नहीं सहनशीलता का दूसरा नाम
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
🙏👌🙏
किसी व्यक्ति की मजबूरी कुछ भी हो सकती है,,
परंतु सहनशील व्यक्ति हमेशा ताकतवर होता है।।