मानस गुरुवर प्रेम | मानस प्रकृति प्रेम | गुरुश्रेष्ठ के प्रति समर्पण
MANAS GURUDEV LOVE | MANAS NATURE LOVE | DEVOTION TO THE GURU
” दुनिया की लगी जब कड़ी तपन,
मानस प्रकृति प्रेम में हो गया ऐसा मगन;
और जब से करने को मिला है गुरुचरणों में भी नमन,
मानो अब मिली है उसके पंखों को नई उड़न [उड़ान ] । “
ऐसा लागा गुरु चरणों में मन मेरा जो,
पाया शोर शराबे के बीच भी शकुन को हमने;
जागी ज्ञान की जिज्ञासा और पिपासा ऐसी जो,
खोई सुध बुध भी पाई दिव्य चक्षु के साथ फिर से जो हम सबने;
समझ फिर ऐसी पाई विवेक के साथ तर्क की जो,
अनसुलझे सवालों को भी चुटकी में हल कर दिये जो हम सबने;
संगत ने पढ़ने का सलीका और अंदाज बदला जो,
मर्म के साथ सन्देश को अलग रखने का गुर भी हम लगे जो अब जपने;
सानिध्य में व्याख्यान सुहाते हैं उनके जो,
अब दूरी स्थान की नही वेग की रह गई है इस दिमागी पैमाने में,
ऐसे में अब प्रीति कैसे लगाऊँ किसी और से जो,
जब जान भी गया हूँ और पहचान भी गया नहीं अब मेरा कोई दूजा ठौर गुरुचरणों के अलावा इस क्रूर रहस्यमयी जमाने में।।
मेरा प्रथम लक्ष्य “” जीवन पर्यन्त अच्छे शिक्षार्थी बने रहने के साथ एक बेहतर इंसान भी बनना। “”
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मानस गुरुवर प्रेम | मानस प्रकृति प्रेम | गुरुश्रेष्ठ के प्रति समर्पण
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ , शिष्य – प्रोफेसर औतार लाल मीणा
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
सुंदर 💐 💐 💐 💐
अतिसुन्दर 🙏👌👌
गुरु बिना ज्ञान न उपजे,
गुरु बिना मिले ना मोक्ष।
गुरु बिना लिखे ना कोई सत्य,
गुरु बिना मिटे ना कोई दोष ।।।