सुरक्षा की अभेद्य ढाल ” पिता ” | पिता का अर्थ
Meaning of Father | A Impenetrable Shield of Protection | Father Ka Arth
| पिता |
पिता एक शब्द है या फिर अतुलनीय व्यक्तित्व,
पूजा हेतु विष्णु देव कहें या फिर बिन बोले सुनने वाली सूरत;
खुशियों का पैगाम कहें या फिर घर परिवार के आँगन में लगा कल्पवृक्ष,
समर्पण, साहस व सहजता का प्रतिबिंब कहें या फिर अपने जन्म की सार्थकता को सिद्ध करती परिवार की छत्रछाया।
पिता तो बस पिता होता है,
उसका दर्द हमेशा ही किसको दिखा होता है;
वंश की खातिर जो मौत को भी हरा दे,
ऐसा अदम्य साहस का परिचय देता सिर्फ पिता सदैव वहाँ होता है;
पिता तो बस पिता होता है…
तमन्नाओं की पूरी करने वालों का तांता जब जब जहां होता है,
काफ़िलों के दौर में भी अपनों का खयाल सिर्फ वहाँ होता है;
जो लूटा दे सब कुछ तुम्हारी एक जिद पर,
न्यौछावर करने का जिगरा रखने वाली सौम्यता का वारिस सिर्फ पिता वहाँ होता है;
पिता तो बस पिता होता है…
एक ख्वाहिश की जब कामयाबी के वास्ते कहीं दूर जाने के जनून में,
तो फिर जो हंस दे ऑंसुओं को छिपाकर वहाँ दर्द की इंतहा सिर्फ पिता होता है;
एक नये रिश्ते की खातिर तोड़ी जब मर्यादायें,
सामाजिक परम्पराओं व अपनों के बीच चट्टान का हौंसला लिये सिर्फ एक पिता ही वहाँ होता है;
पिता तो बस पिता होता है…
जीतने की मौजमस्ती में महफ़िल जब आबाद होती है,
तो भरी भीड़ में बिन बुलाये यारों का भी संग सदैव वहाँ होता है;
अपनों की खातिर जीतकर भी जो हार मान ले,
वह बाजीगरी करने वाला कोई और नहीं सिर्फ उसी का पिता होता है;
पिता तो बस पिता होता है,
उसका दर्द हमेशा ही किसको दिखा होता है………
“” मैं धन्य हूँ इस देवतुल्य पिता का मैं पुत्र कहलाता हूँ। मेहनत, काम के प्रति निष्ठा और कर्त्तव्य पथ के प्रति ईमानदारी सिखलाने के लिए में मेरी माँ की तरह इनका भी विशेष योगदान रहा। मैं सदैव इनका आभारी रहूँगा। पिता को मेरा सदैव कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम। “”
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सुरक्षा की अभेद्य ढाल ” पिता ” | पिता का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
पापा 🙏😢😢🙏
पापा के लिए जितना लिखा ✍️ जाए वो कम है,,,
यह जो जिंदगी का status है वह पापा ने ही दिया है।।।
सुन्दर विचार।
पिता द्वारा अपने सुखों का बलिदान नई पीढ़ी को उन्नति के पथ पर अग्रसर करता है।
शब्द बहुत कुछ बोलते हैं आज पता चला।
माँ की ममता को तो, सब ने ही स्वीकारा है
पर पिता की परवरिश को, कब किसने ललकारा है!!
मुश्किलों की घंडियों में अक्सर, मेरे साथ खड़े थे वो
मेरी गलतिया थी फिर भी, मेरी खातिर लड़े थे वो!!
कमियों की अहसास, मुझको कभी तो हो न पायी
कपकपा कर सोते थे वो, मेरे ऊपर थी रजाई !!
माँ की गोदी की गर्माहट, के बराबर उनकी थपकी
कंधे उनका बिस्तर मरी, आंखे हलकी सी जो झपकी!!
उनके होसलो ने कभी न, आँखे नम होने दिए है
जितने थी मेरी जरूरत, सबको तो पूरी किया है!!
उनकी लाड में जो पाया, थोड़ी कड़वापन सही
मेरी खातिर मुझे डाटा, था वही बचपन सही!!
जिंदगी की दौड़ में अब, अपने पारों पर खड़े
उनके जज़्बों की बदौलत, मुस्किलो से हम लड़े!!
सर पे उनका साया जब तक, चिंता न डर है कोई!!
उनके कंधो की बदौलत बढ़ रही है जिंदगी !!
I would like to express my heartfelt appreciation for your excellent article on the significance of fathers in our lives. Your article beautifully captures the essence of fatherhood and the vital role that fathers play in shaping our lives.
परिवार में अपने बच्चों को जरूर पढ़ायें।