हर शब्द मौन हो चला है | शब्द का अर्थ
Meaning of Silence Word | Definition of Word | Moun Ki Paribhasha
| सामाजिक परिस्थितियों के परिपेक्ष्य में |
आज क्यों हर “” शब्द “” मौन हो चला है,
मानो लगता है कि वो अपना नर्सेगिक गुण ही खो चला है;
धूर्तता जैसे अंतर्मन का आँचल ओढ़ चला है,
जब आपात में अपना हो तो रुदन दूसरे का मृतक भी जब सिर्फ नम्बर हो चला है;
हौंसला अफजाई में कुछ हरफ़ जब लिखने चला,
अब तो फरिश्तों का नूर भी आँखों में कैद हो चला है ;
चीख पुकार कानों के रास्ते तब हृदय को विदीर्ण कर चला है,
जब दरिंदगी, नृशंसता व बलात्कारी के भेष में इंसानी दैत्यों से समाज रूबरू हो चला है;
गिरगिट भी अब मानो कर्णप्रिय हो चला है,
जब से दोयम दर्जे के राजनेता का चरित्र दुनिया में पर्दाफाश हो चला है;
पाखण्ड धार्मिक होने के हक को भी खो चला है,
जब निजी महत्वाकांक्षा में हठधर्मी लाशों को ही सीढ़ी बना चला है।
“” मानवीय धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं “”
“” सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरी आदत नहीं,
एक जनून है कि सामाजिक तस्वीरें ही नहीं तक़दीर भी बदलनी चाहिए “”
“‘ इस क्रांतिकारी परिवर्तन हेतू सहभागी बनें। “”
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हर शब्द मौन हो चला है | शब्द का अर्थ
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
महोदय आपने तो एक ही लेखनी के द्वारा सबका कच्चा चिट्ठा खोल डाला । इसमें एक लेखक से लेकर आम आदमी तक का दर्द साफ झलक रहा है । बहुत ही सही शब्दो के प्रयोग द्वारा रचित ।
Thanks A lot for motivation
Nice
Nice Ji
लगते है स्वर कड़वे हमारे, तो लो…!
मैं इन्हें खामोश कर लेता हूँ!
लगता हो यदि तुम्हें, की हम सुना रहे है तुम्हे! तो लो…!
मैं इन्हें खामोश कर लेता हूँ!