Friday, December 6, 2024

Definition of Varn Vyavstha | वर्ण व्यवस्था की परिभाषा

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वर्ण व्यवस्था की परिभाषा | वर्ण व्यवस्था का अर्थ
Definition of Varn Vyavstha | Meaning of Varna system | Varna Vyavastha Ki Paribhasha

“” वर्ण व्यवस्था “”

 “” जनसंख्या के वर्गीकरण का प्रथम आधार धर्म /पँथ व द्वितीय आधार वर्ण व्यवस्था जिसे वर्तमान में विकृत जातिगत व्यवस्था भी कहते हैं। “”
इसे हम तार्किकता के साथ विश्लेषण से समझेंगे —
★★★ वर्ण व्यवस्था ★★★
°°° *प्राणी के अभिरुचि एवं कार्यशैली पर आधारित जीवन शैली ही वर्ण है।*°°°
——– वर्ण के प्रकार ——-
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र
ब्राह्मण – ब्रह्म व शिक्षा प्रदाता
क्षत्रिय – क्षेत्र की रक्षा एवं शासन व्यवस्थापक
वैश्य – व्यापार , पालन पोषण संयोजक
शूद्र-  खेल, 【चिकित्सा, संगीत, नृत्य व कलात्मक 】 सेवक
———– जाति ————–
“” वर्ण का विघटित, सांस्कृतिक, सैद्धांतिक एवं जगह समूह विशेष को जाति कहते हैं। “””
——- गौत्र ———-
“” वर्ण का सूक्ष्म ,अविभाजित एवं व्यक्ति के रंग रूप व कद काठी अनुसार वर्गीकरण ही गौत्र कहलाता है। “”
★★★ प्रारम्भिक अवस्था में व्यक्ति द्वारा कर्म चुनाव व बदलाव के साथ ही उसके वर्ण का बदलाव होना भी निश्चित था, क्योंकि समाज कर्म प्रधान की अवधारणा पर टिका व फलफूल रहा था।★★★
★★★ कालांतर में कुटिल, भ्रामिक व महत्वकांक्षी लोगों द्वारा वर्ण व गौत्र के व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक ढांचे को भेदभाव, छुआछूत, ऊंचनीच का जातिगत अखाड़ा बना दिया।
अब यह वर्तमान में हमारे समाज के लिए शर्म, कलंक के साथ विघटन, अलगाव व विध्वंस का भी कारक बनी हुई है। ★★
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वर्ण व्यवस्था की परिभाषा | वर्ण व्यवस्था का अर्थ
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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Manas Shailja
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2 years ago

so nice

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