ईश्वर की इबादत | जनून का अर्थ
Meaning of Worship of God | Definition of Passion | Janoon Ki Paribhasha
“” जनून “” या फिर “” ईश्वर की इबादत “”
हसरत मान जिसे,
अपनी मंजिल बनाया ;
पहली सीढ़ी पर जो,
इस क़दर लड़खड़ाया ;
फिर सामने रास्ता,
मुश्किलों भरा पाया ;
मंजिल भी कोसों दूर,
अब नजर आयी ;
हौसलों भरी आवाज़,
फिर अंदर से पायी ;
मंजिल के पाने का तरीका,
आखिर अंतर्मन ने ही सुझाया ;
फिर टुकड़ों में बाँट,
मंजिल को पाना सिखलाया ;
विश्वास ने बार बार मुझसे,
युक्तिबद्ध अभ्यास करवाया ;
अब आखिर लक्ष्य मुझे,
बहुत आसान नजर आया ;
पा लूँगा मंजिल कह हमने,
जो हसरत को जनून बनाया ;
जो पायी हमने मंजिल तो,
जनून में ही भगवान नज़र आया ;
जनून होता है “” ईश्वर की इबादत “” ,
इस कसरत से मानस मैं ये ही अब समझ पाया ।
These valuable are views on Meaning of Worship of God | Definition of Passion | Janoon Ki Paribhasha
ईश्वर की इबादत | जनून का अर्थ
मानस जिले सिंह [ Realistic Thinker ]
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – धार्मिक आडम्बर व पाखण्ड को मानवीय जीवन शैली से बाहर निकलवाने के लिए प्रयत्नशील रहना।
Nice
बहुत सुन्दर
बोलकर तो सब समझाते है।
कभी अपनी खामोशी से भी समझाकर देखो।
क्या पता, जिन्ही शोर की आवाज सुनाई नही देती, शायद उन्हें मौन की आवाज सुनाई दे।
~ महेश सोनी
Really so nice views
Nice 🙂
हार तू चाहे जितना हरा दे मुझे!
मैं तब तक हारना पसंद करूँगा,
जब तक कि मैं जीत ना जाऊ।
Great views
बहुत खूब 👌🏻👌🏻
मैं आनंद का संचार हूं ,
मैं आनंद में शुमार हूं ।
ना मैं किसी बंद में ,
ना किसी अनुबंध में,
हर पल में मैं खुमार हूं ।
मैं आनंद का संचार हूं ।।
है सूर्य मेरे साथ में ,
जीवन है मेरे हाथ में,
मैं खुशियों की भरमार हूं ,
मैं आनंद का संचार हूं ।।
मित्र की भाषा नहीं,
शत्रु की परिभाषा नहीं ,
मैं प्राणियों में प्यार हूं ,
मैं आनंद का संचार हूं ।।
प्रकृति में मैं जी रहा हूँ,
अगणित क्षणों को सी रहा हूँ,
जीवन का मैं प्रकाश हूं,
अन्याय में अंतर्मन की पुकार हूँ,
मैं आनंद का संचार हूं ।।
माया का तो मोह नहीं,
भावों का मुझमें टोह नहीं,
मैं संस्कारों का जाल हूं,
मैं आनंद का संचार हूं।।
न पाने की मुझ में चाह रही,
ना खोने का भय रहा ,
मैं आशाओं का अंबार हूं ,
मैं आनंद का संचार हूं ।।
पांच तत्वों का योग हूं ,
संसार का तो भोग हूं ,
मैं भावों की मनुहार हूं,
मैं आनंद का संचार हूं।।
मानवता की लय में हूं ,
कर्मठता का मैं राग हूं ,
मै सुरों में झंकार हूं,
मैं आनंद का संचार हूं।।
मैं जीवन यूं ही जी रहा,
न मृत्यु का मुझ में शय रहा ,
मैं प्राण तत्व का सार हूं ,
मैं आनंद का संचार हूं।।- प्रोफेसर सरला जांगिड़