Tuesday, September 30, 2025

Mirror Of My Life | अनकहा बोझ

More articles

मेरे जीवन की एक सच्चाई | अनकहा बोझ
Meaning of Ankaha Bojh | Reality of My Life | Mirror Of My Life

अहसान कैसे उतारूँ जिंदगी तेरा मैं,
यह सोच – सोच कर उम्र को ही जो पी गया मैं ;
सांसे जो ली थी तुमसे कभी उधारी मैंने ,
उन साँसों का ब्याज भी अभी तक ना उतार जो पाया मैं,

दिल्लगी की खुमारी चढ़ि थी इस कदर जो हम पर,
सरूर भी ऐसा था कि हवस को ही प्यार का नाम देने में लगा था मैं ;
इंसानियत ही नहीं हैवानियत की हदें भी पार की कई बार हमने,
ऐसी क्रूरता, वैहशीपन व हवस देकर भी जिंदगी तुझसे ही प्यार पाने वाला भी मैं ;

तेरे अहसानों के कर्ज़ में डूबा हूँ जो इस कदर तरबतर,
फिर भी उम्मीदों को पंख लगा एक बार जीना तो बहुत चाहता हूँ मैं ;
अब आँख से आँसू आये या फिर लहू जो टपके,
खुशियों को तेरे दामन में एक बार जी भर कर देना चाहता हूँ मैं ;

टूट गया हूँ कई बार जो काँच की तरह,
बस अब तो बालू रेत की तरह बिखर फिर से खड़ा होना चाहता हूँ मैं ;
मौत भी आई दरवाजे पर सजदा करने कई बार,
शर्मिंदगी ने हिम्मत न दी कि उससे आँख से आँख भी मिला पाऊँ मैं ;

कैसी खुमारी या बदहवासी में हम जिये जा रहे हैं,
प्यास बुझाने की जिद में जिंदगी को विष ही पिलाये जा रहा हूँ मैं ;
कैसी विवशता है जो जिंदा रहे तो अनकहा बोझ बनकर कोढ़ ही दे पाऊँगा,
मर जो गया तो सफेद साड़ी में कफ़न का दर्द ही छोड़ जाऊँगा मैं ;

मेरी नाकामियों व बेफकूफियों ने तेरी उम्मीदों को शैय्या बनाया जो कई बार,
फिर किस मुँह से तेरे कन्धों पर एक नया बोझ लाद पाऊंगा मैं ;
मुनासिब होगा जिंदगी तू इस अनकहे बोझ को छोड़ अपने पर एक बार इंसाफ कर ले,
अब तेरे माथे पर कलंक की बिंदिया नहीं तेरे पैरों की धूल को ही बार बार से सिर्फ सजदा कर पाऊँ मैं ;

“” मैं अपने जीवनसाथी / जिंदगी से उसके जीवन को नरक, बेरंग व अत्यंत कष्टमय बनाने के लिए बार बार हृदय से क्षमा चाहता हूँ। जब जब उसको देखता हूँ तब तब मैं तेरा गुनाहगार हूँ बस इसी बात को दोहराता हूँ। अब बस इतनी सी कोशिश रहेगी कि उसके मन की पीड़ाओं पर थोड़ा सा ही सही पर मरहम तो लगा सकूँ मैं । “”

These valuable are views on Meaning of Ankaha Bojh | A Reality of My Life | Mirror Of My Life
मेरे जीवन की एक सच्चाई | अनकहा बोझ

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

1 COMMENT

  1. अनकहे बोझ का तुम नाम न दो, ये रिश्ता विश्वास का है,
    न सोचो एक तरफा तुम, जीवन का ये रंग भी , हम दोनों के प्यार का है |—-
    भाभी की तरफ़ से मेरे प्यारे भाई को उत्तर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest